बैठक की अध्यक्षता कर रहे चेयरमैन चिरंजीलाल सैनी (chairman of bar council of rajasthan chiranjilal saini) ने हंगामा शुरू होने के बाद बैठक स्थगित करने का ऐलान किया, वहीं पंद्रह सदस्यों ने बाद में सैयद शाहिद हसन को चेयरमैन और रतनसिंह राव को वाइस चेयरमैन पद पर निर्वाचित करने की घोषणा कर दी।
सैनी का दावा है कि अविश्वास प्रस्ताव पारित हुए बिना उन्हें नहीं हटाया जा सकता और उन्होंने अब तक इस्तीफा नहीं दिया, इसलिए वे ही चेयरमैन हैं। साधारण सभा की विशेष बैठक के लिए एजेंडा पहले ही जारी किया गया था।
इस पर बहस शुरू होने से पहले एक विशेष एजेंडा वितरित किया गया, जिस पर सचिव के हस्ताक्षर नहीं थे। इसमें चेयरमैन और वाइस चेयरमैन सहित अन्य पदों के लिए चुनाव करवाने का उल्लेख था।
विशेष एजेंडा वितरित होते ही बैठक की अध्यक्षता कर रहे सैनी सहित अल्पमत के सदस्यों ने विरोध करना शुरू कर दिया। सदस्य रणजीत जोशी ने कहा कि कुछ सदस्य संख्या बल के आधार पर अधिवक्ताओं की सर्वोच्च संस्था के प्रजातांत्रिक मूल्योंं को मिटाने पर तुले हैं।
विशेष एजेंडे में चुनाव करवाने की बात थी तो पंद्रह दिन पहले सूचित किया जाना चाहिए था। इस तरह ऐनवक्त पर अवैधानिक कार्य नहीं किया जा सकता। जोशी ने कहा कि चेयरमैन सैनी ने इस्तीफा नहीं दिया है और न उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है तो नए चेयरमैन के चुनाव कैसे संभव हैं।
सदस्य सुशील शर्मा ने कहा कि हमने बहुमत के आधार पर नए चेयरमैन व अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करवाया है। हमारे पास बहुमत है, हम पदाधिकारियों को हटा सकते हैं। हमने जब विशेष बैठक आहूत करने का आग्रह किया था, उस एजेंडे में चुनाव की बात शामिल थी, लेकिन सैनी ने एजेंडे से उसे हटा दिया और बैठक में सदस्यों को गुमराह करने का कार्य किया।
सचिव ने ये कहा
सचिव आरपी मलिक ने दिन भर चले गतिरोध के बाद शाम को अधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 11 सदस्यों की ओर से बैठक आहूत करने के आग्रह में उठाए गए बिंदुओं के आधार पर बैठक आयोजित की गई।
नए चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के अलावा सह अध्यक्ष के चार पदों पर इंद्रराज चौधरी, रामप्रसाद सिंगारिया, हरेन्द्रसिंह सिनसिनवार एवं सुनील बेनीवाल को निर्वाचित किया गया। मलिक ने कहा कि एक प्रस्ताव पारित कर सभी समितियों को भंग किया गया तथा एक कार्यकारी समिति का गठन किया गया है, जिसमें सैयद शाहिद हसन, पदेन अध्यक्ष, जगमालसिंह चौधरी, सुशील शर्मा, कुलदीप शर्मा, संजय शर्मा तथा राजेश पंवार को सदस्य चुना गया।
अन्य समितियां कार्यकारी समिति गठित करेंगी। बैठक में पिछली तीन बैठकों के निर्णयों की पुष्टि की गई। बैठक में सैनी द्वारा बार कौंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष निगरानी प्रस्तुत करने का विरोध किया गया और तय किया गया कि इसे वापस लिया जाएगा।
इनका कहना है…
‘मैंने न तो इस्तीफा दिया, न मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ। बैठक स्थगित होने तक सचिव ने हमारे साथ ही प्रोसिडिंग नोट की, अब अगर वे कोई विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं तो उस दबाव के बारे में वे ही बता सकते हैं।
चिरंजीलाल सैनी (उनके अनुसार वे अब भी चेयरमैन हैं) ‘वकीलों की सर्वोच्च संस्था में कुछ सदस्यों ने सदस्य संख्या के आधार पर प्रजातांत्रिक मूल्योंं का पतन किया है। बुद्धिजीवी वर्ग की संस्था में ही नियमों की अवहेलना होगी तो बाकी किससे उम्मीद की जाए।
रणजीत जोशी, सदस्य, कौंसिल
‘एक साल के प्रथम कार्यकाल में सुशील शर्मा को चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन उन्होंने छह महीने की अवधि पूरी होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। उनके बचे हुए कार्यकाल के लिए सैनी के आग्रह पर ही उन्हें चेयरमैन चुना गया, जिसकी अवधि शनिवार को खत्म हो रही थी। उनके साथ अन्य पदाधिकारियों के एक साल के निर्वाचन की अवधि भी खत्म हो रही थी, इसलिए विश्ेाष बैठक के लिए हमने एजेंडे में चुनाव का मुद्दा शामिल किया था। लेकिन सैनी ने चुनाव करवाने का बिंदु हटा दिया।
-जगमालसिंह चौधरी, सदस्य, कौंसिल