इस मरीज ने पहले प्राइवेट सेंटर में भी दिखाया। उसके बाद सैटेलाइट अस्पताल की ओर रुख किया। डॉक्टरों के मुताबिक नाक की तरफ का इलाका काफी खतरनाक होता है। यहां से इंफेक्शन सीधा ब्रेन तक पहुंचता है। सर्जरी में हल्की सी चूक बालक के चेहरे को प्रभावित करती। इस बीमारी को डॉक्टर अपनी भाषा में मिसियोडेंस कहते है। अस्पताल पीएमओ डॉ. राजेश टेवानी ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन से अब मरीजों को बड़े सेंटर की तरफ रुख नहीं करना पड़ेगा। बड़े अस्पतालों में मरीज भार भी कम होगा।