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हिंदी साहित्य के इस दिग्गज को कभी नहीं भूल पाएगा साहित्य जगत

locationजोधपुरPublished: Feb 20, 2019 09:55:01 pm

-साहित्यकार एवं आलोचक नामवर सिंह के निधन पर साहित्यकारों ने जताया शोक

This veteran of Hindi literature is never forgotten by the socity

हिंदी साहित्य के इस दिग्गज को कभी नहीं भूल पाएगा साहित्य जगत

जोधपुर. हिन्दी साहित्य के आलोचक व साहित्यकार डॉ. नामवर सिंह के निधन पर गांधी शांति प्रतिष्ठान में बुधवार शाम को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें शहर भर के साहित्यकारों ने हिस्सा लेकर डॉ. सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सभा को कवि व आलोचक डॉ. रमाकान्त शर्मा, डॉ. आईदान सिंह भाटी, कवि सत्यदेव संवितेन्द्र, डॉ. पद्मजा शर्मा, श्यामसुंदर भारती, वाजिद हसन काजी, सत्येन व्यास, अशफाक फ ौजदार, सूर्यप्रकाश भार्गव, अमजद अहसास, बाबूलाल चांवरिया, सैयद मुनव्वर अली, मनीष भंडारी, आनंद हर्ष, संतोष चौधरी आदि ने संबोधित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही उनकी जोधपुर से जुड़ी यादों को भी ताजा किया। साहित्यकारों ने डॉ. सिंह के निधन को साहित्य के क्षेत्र में बड़ी क्षति बताया। साहित्यकारों ने दो मिनट का मौन रख उनके साहित्य जगत में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को याद किया। साथ ही कहा कि नामवर सिंह का जाना एक बड़े आधार स्तंभ का समाप्त हो जाना है। गौरतलब है कि नामवर सिंह ने जोधपुर विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया था। उस समय में उनके छात्र रहे साहित्यकारों ने उनसे जुड़े कुछ अनुभव राजस्थान पत्रिका से साझा किए।
छायावाद को बताया था शक्ति का काव्य
मुझे गर्व और गौरव का अनुभव होता है जब मैं यह कहता हूं कि मैं नामवर
सिंह का प्रथम शोधार्थी शिष्य था। जब वे जोधपुर में थे तब मैंने उनके निर्देशन में पीएचडी की। उनकी खास बात यह थी कि वे साहित्य को नई दृष्टि से देखते थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में पुनर्जागरण, आधुनिकता, नवजागरण को लेकर कार्य किया। हिंदी आलोचना के क्षेत्र में वह एक दिग्गज थे। उन्होंने अपभ्रंश साहित्य से लगाकर कविता के नए प्रतिमान जैसी किताबें लिखी। नामवर के जाने से बहुत बड़ा शून्य हिंदी आलोचना के क्षेत्र में व्याप्त हो गया। उनकी बोलने की क्षमता और कला बड़ी गजब की थी।
हिंदी साहित्य का 1200 वर्षों का इतिहास उनकी आंखों के आगे था। जब छायावाद पर आरोप लगाया जा रहा था कि यह पलायनवादी साहित्य है, तो वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि यह शक्ति का काव्य है। नई कविता एवं समकालीन कविता पर भी उन्होंने बेहतरीन कार्य कर दिखाया। वे अपने विद्यार्थी का पूरा ख्याल करते थे। रिसर्च के दौरान वे बड़े ही आत्मीयता एवं सहज भाव से मिलते थे। यदि वह कहीं बाहर भी जाते जहां कुछ अच्छी पुस्तकें होती तो वे
मेरे लिए अवश्य लेकर आते और मुझे पढऩे के लिए कहते थे।
डॉ. रमाकांत शर्मा, कवि, आलोचक एवं नामवर सिंह के शिष्य
उनके व्याख्यानों में अज्ञेय जैसे विद्वानों को बैठे देखा

नामवर सिंह जब जोधपुर विश्वविद्यालय में आए थे, उस समय मैं बीए का छात्र था। यह मेरा सौभाग्य था कि उन्होंने हमें द्वितीय वर्ष में धर्मवीर भारती की कर्णप्रिया पढ़ाई। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। इतना ही नहीं, मैंने उनके व्याख्यानों में अज्ञेय जैसे विद्वानों को भी बैठे देखा है। मैंने उन्हें एक बार बाड़मेर भी बुलाया, जहां वे दो दिन तक ठहरे थे। उनका निधन
साहित्य के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्षति है।
डॉ. आईदान सिंह भाटी, साहित्यकार, नामवर सिंह के शिष्य
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