कुलपति प्रो. चौहान के निर्णय की खास बातें
– विवि की छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया को सही व पारदर्शी माना।
– ग्रीवेंस रिड्रेसल सैल द्वारा मूलसिंह की ३० आपत्तियों को खारिज करने का निर्णय सही माना।
– सैल द्वारा सुनील चौधरी की अपील पर मूल सिंह का नामांकन खारिज करने के निर्णय को नहीं माना। मूल सिंह का नामांकन वैध। कुलपति ने कहाकि ग्रीवेंस रिड्रेसल सैल के समक्ष ५ सितम्बर को मूल सिंह के नामांकन पर आपत्ति के बावजूद उसने मूल सिंह को चुनाव लडऩे के लिए वैध माना था।
– मूलसिंह की ओर से कुलपति को सुनील चौधरी द्वारा तय सीमा में चुनावी खर्च जमा नहीं करवाने पर उसका नामांकन शून्य करने की आपत्ति दी थी। कुलपति ने निर्णय देते हुए कहा कि वे केवल अपीलीय अधिकारी है और अपील ही सुनेंगे। मूल सिंह की मूल आपत्तियां केवल ३० थी, जिसमें यह मुद्दा नहीं था।
– लिंगदोह कमेटी के अनुसार मतगणना के दो सप्ताह के भीतर प्रत्याशियों द्वारा खर्च का ऑडिटेड ब्यौरा नहीं देने पर नामांकन शून्य घोषित हो जाता है। विवि के सभी ३८ पदाधिकारियों ने तय समय सीमा में खर्च का ब्यौरा नहीं दिया। विवि का तर्क है कि इस पर किसी ने समय पर आपत्ति दर्ज नहीं की। वैधानिक कार्य किसी की आपत्ति पर होते हैं या नियमानुसार संचालित होते हैं? कृषि राज्ययंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने यही तर्क ३ अक्टूबर को तत्कालीन कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा को दिया था।
– मतगणना कक्ष में मोबाइल वर्जित था। बावजूद विवि के शिक्षकों ने धड़ल्ले से प्रयोग किया। विवि का तर्क है कि मोबाइल के प्रयोग से मतगणना कार्य प्रभावित नहीं हुआ। – मतगणना में केवल स्थाई कर्मचारियों की ड्यूटी थी, बावजूद इसके एक ठेकाकर्मी लगा दिया। विवि का तर्क है कि मतगणना टीम की मदद के लिए लगाया गया था।
अब तक यूंं चला मामला जेएनवीयू में छात्रसंघ के लिए १० सितम्बर को मतदान और ११ सितम्बर को मतगणना हुई थी। अपेक्स अध्यक्ष पद पर ९ वोट से एनएसयूआई के सुनील चौधरी जीत गए। एबीवीपी प्रत्याशी मूल सिंह ने मतपेटियों में गायब हुए ३३ मत, खारिज किए गए ५६८ मत, विवि के कुछ शिक्षकों के बार-बार मतगणना कक्ष में घुसने, ठेकाकर्मी द्वारा मत गिनने सहित ३० बिंदुओं पर विवि की ग्रीवेंस रिड्रेसल सैल (छात्रसंघ चुनाव के मामले में विवि का कोर्ट) को आपत्तियां दी। सैल के समक्ष सुनील चौधरी ने भी मूल सिंह पर पांच साल पहले परीक्षा में नकल व सजा का मामला उठाकर नामांकन खारिज करने की मांग की थी। सैल ने २२ सितम्बर को ७ घण्टे की लम्बी सुनवाई के बाद २६ सितम्बर को अपना निर्णय देते हुए मूल सिंह की सभी ३० आपत्तियों को खारिज कर दिया और सुनील की आपत्ति पर मूलसिंह का नामांकन खारिज करने की अनुशंषा की गई। मूल सिंह ने इस निर्णय के विरुद्ध कुलपति के पास अपील दायर की। प्रो. चौहान ने ११ अक्टूबर को दो घण्टे तक मूल सिंह की अपील सुनी और ३१ अक्टूबर को अपना निर्णय सुना दिया।
सुनील चौधरी अध्यक्ष, मूल सिंह का नामांकन वैध
मूल सिंह की अपील के अनुसार निर्णय दे दिया है। छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील चौधरी सहित विवि के सभी छात्रसंघ पदाधिकारी बने रहेंगे। मूल सिंह का नामांकन भी वैध रहेगा।
प्रो. गुलाब सिंह चौहान, कुलपति, जेएनवीयू जोधपुर अब छात्र हित के काम हो सकेंगे
डेढ़ महीने बाद इस विवाद के खत्म होने से अब विवि में छात्रहित के कार्य हो सकेंगे। सुनील चौधरी, छात्रसंघ अध्यक्ष, जेएनवीयू
हाईकोर्ट में याचिका दायर करुंगा
विवि चुनाव में पारदर्शिता नहीं थी। मैं हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के साथ विवि पर मानहानि का मुकदमा करुंगा। मूल सिंह राठौड़, एबीवीपी प्रत्याशी