सुखोई-30 में किया मोडिफिकेशन
ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई-30 से फायर करने के लिए इसमें मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और सॉफ्टवेयर बदलाव किए गए हैं। सॉफ्टवेयर में बदलाव वायुसेना के इंजीनियर्स ने किया जबकि मेकेनिकल व इलेक्ट्रिकल बदलाव हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कर रही है। ब्रह्मोस मिसाइल 2.5 टन की है। यह ध्वनि की गति से अधिक 2.8 मैक से 290 किलोमीटर तक मार कर सकती है। यह जमीन से 3 से 4 मीटर ऊपर चलने की वजह से राडार से ओझल रहती है।
दिवाली से पहले न केवल सुखोई-30 ( Sukhoi 30 ) लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस मिसाइल से लैश किया जा रहा है वरन् फ्रांस से पहला रफाल लड़ाकू विमान भी सितम्बर में अंबाला में आएगा। रफाल में पहले से ही बीवीआरएएएम मिसाइल लगी होगी। उधर रूस से एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 भी तैयारी में है। एक साथ तीन बड़े बदलाव भारतीय वायुसेना को जबरदस्त ताकत देंगे।
– ब्रह्मोस फाइनल ऑपरेशनल क्लियरिंग के लिए तैयार है। एक-डेढ़ महीने बाद इसका तीसरा व अंतिम परीक्षण कर वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
प्रवीण पाठक, मुख्य महाप्रबंधक (मार्केटिंग, प्रमोशन एण्ड एक्सपोर्ट), ब्रह्मोस एयरोस्पेस