जबकि सभी शिकायतें अलग-अलग समस्याओं को लेकर थी। किसी कर्मचारी का राज्य बीमा का ब्याज बकाया था तो किसी की जीपीएफ की राशि। कुछ कर्मचारियों के खाते स्थानान्तरण होकर आए, कुछ के खाते स्थानान्तरण करने थे। कुछ कर्मचारियों की एम्पलोई आइडी जारी करनी थी। कई मामलों में शिकायत दर्ज होने के दूसरे दिन ही गलत जवाब देकर शिकायत का समाधान करना मान लिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि विभाग द्वारा सम्पर्क पोर्टल पर जवाब देने के लिए अतिरिक्त स्टाफ बैठा रखा है जो गलत जवाब देता है।
प्रकरण 1
प्रथम बटालियन आरएसी जोधपुर से सेवानिवृत नरसिंगाराम को जीपीएफ खाता सं. 401394 में 2.75 लाख रुपए व राज्य पॉलिसी सं. 407133 में 15 हजार रुपए कम मिले। नियमानुसार दस्तावेज सहित दावा संयुक्त निदेशक राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, जोधपुर शहर में प्रस्तुत किया। भुगतान की जानकारी के लिए सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत संख्या 06190875772581 दर्ज की। जीपीएफ विभाग जोधपुर शहर ने सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज शिकायत पर मूल वांछित दस्तावेज मांग कर लाखों रुपए का भुगतान रोक लिया। नरसिंगाराम ने सेवानिवृति से पूर्व ही जीपीएफ विभाग में सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे।
प्रथम बटालियन आरएसी जोधपुर से सेवानिवृत नरसिंगाराम को जीपीएफ खाता सं. 401394 में 2.75 लाख रुपए व राज्य पॉलिसी सं. 407133 में 15 हजार रुपए कम मिले। नियमानुसार दस्तावेज सहित दावा संयुक्त निदेशक राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, जोधपुर शहर में प्रस्तुत किया। भुगतान की जानकारी के लिए सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत संख्या 06190875772581 दर्ज की। जीपीएफ विभाग जोधपुर शहर ने सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज शिकायत पर मूल वांछित दस्तावेज मांग कर लाखों रुपए का भुगतान रोक लिया। नरसिंगाराम ने सेवानिवृति से पूर्व ही जीपीएफ विभाग में सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे।
प्रकरण 2 पेपाराम पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र जोधपुर से सेवानिवृत हुए। राज्य बीमा पॉलिसी सं.319217 पर अधिक जमा प्रीमियम पर बकाया ब्याज के भुगतान के लिए 15 अप्रेल को राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग जोधपुर शहर में दावा प्रस्तुत किया। बकाया राशि के भुगतान की जानकारी के लिए राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत सं. 06190875718391 दर्ज की। सम्पर्क पोर्टल पर मूल वांछित प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध कराने का जवाब मिला। पेपराम के सभी मूल दस्तावेज बीमा विभाग में ही जमा है व ब्याज के भुगतान के लिए किसी प्रकार के मूल दस्तावेज की आवश्यकता नहीं रहती।
इनका कहना है कर्मचारी की ओर से जीए-55 उपलब्ध नहीं कराया जाता है। जीए-55 उपलब्ध होते ही भुगतान कर दिया जाता है।
रविन्द्र पंवार, सहायक निदेशक (शहर) राज्य बीमा एव प्रावधायी निधि विभाग, जोधपुर