स्टार्टअप को नजदीक से जानने वाले एन्टरप्रेन्योर एवं मारवाड़ी केटेलिस्ट के संस्थापक सुशील शर्मा ने बताया कि मारवाड़ी दिमाग स्टार्ट-अप में बेहतर है। यहां के लोगों में रिस्क टेकिंग हेबिट भी है। साथ ही ऐसे सफल उद्यमी भी हैं जो स्टार्ट-अप में इंवेस्ट करना चाहते हैं। इसीलिए मारवाड़ी कैटेलिस्ट नाम से एक प्लेटफार्म यूथ के लिए शुरू किया जा रहा है। ऑनलाइन कनेक्ट के साथ व्यक्तिगत सम्पर्क कर यूथ अपने स्टार्ट-अप आइडिया शेयर करते हैं। इनके लिए इंवेस्टर्स भी ढूंढा जाता है। अब कई लोग इस प्लेटफार्म के जरिये अपना आइडिया शेयर कर चुके हैं। ऐसे ही आइडिया को अगले माह से जोधपुर की जनता के सामने रखा जाएगा।
इनोवेशन और न्यू जनरेशन माइंड सेट के जरिए ही स्टार्ट-अप के प्रति लोगों का क्रेज बढ़ रहा है। युवाओं को अब परम्परागत व्यापार के साधन अपनाने की बजाय स्टार्ट-अप में काफी इंट्रेस्ट आ रहा है। इससे को-वर्र्किंग स्पेस का कल्चर भी डवलप हुआ है। जोधपुर में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक साथ अलग-अलग विचारधाओं के लोग वर्क-स्पेस शेयर करते हैं। यह जोधपुर के यूथ की बदलती सोच का ही परिणाम है।
अन्य व्यापार की अपेक्षा स्टार्ट-अप को इंवेस्टमेंट जल्द मिलता है। दूसरे व्यापार में पैसा लगाने वाले ऋण देकर ब्याज वसूलेंगे, चाहे वह बैंकिंग सेक्टर हो या कोई निजी व्यक्ति। जबकि स्टार्ट-अप में इंवेस्टमेंट करने वाले का प्रोफिट शेयर तय कर दिया जाता है। ऐसे में पूंजी लगाने वाले लोग बड़ी आसानी से इसे स्वीकर कर लेते हैं।
शहर में होने वाले इन स्टार्ट-अप का मार्केटिंग टूल डिजिटल मीडिया है। बड़ी संख्या में लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। जोधपुर के रीको साइबर पार्क में ऐसे कई एन्टरप्रेन्योर हैं जो कि डिजिटल मीडिया मार्केटिंग में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसी प्लेटफार्म के कारण देश के अलग-अलग कोने से इंवेस्टर्स भी जोधपुर के स्टार्ट-अप में इंवेस्ट कर रहे हैं।
स्टार्ट-अप से जुड़े युवा देवेश राखेचा ने बताया कि इयरबुक कैनवास कॉन्सेप्ट शुरू किया गया। आइआइटी और आइआइएम के कई युवाओं ने अपनी बात इस तरीके से ऑनलाइन एक्सप्रेस करना शुरू किया। यह जोधपुर के युवाओं ने ही शुरू किया था। राखेचा बताते हैं कि यह देश में अपनी तरह की पहली ऑनलाइन इयरबुक थी, बाद में इसे प्रिंट भी करवाया गया।
ऐसे ही एक स्टार्टअप से जुड़े अतुल मेहता ने बताया कि कपड़ा रिसाइकलिंग का दिमाग में आया और पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम शुरू किया। पुराने जींस कपड़ों से स्कूल किट तैयार कर सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क बांटा। अब लोगों से पैसा जुटा कर बड़े स्तर पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए यह तैयार कर रहे हैं। सीएसआर फंड भी जुटाने के प्रयास हैं।
रिचा शर्मा ने भी एक ऐसा ही स्टार्टअप रेस्टारेंट शुरू किया जहां खाने-पीने के साथ ही लोगों के लिए नॉलेज बढ़ाने का प्लेटफार्म दिया गया। यहां कई प्रोफेशनल लोग एक-दूसरे के साथ विचार साझा करते हैं। इंट्रेक्शन के लिए देर रात तक लोगों में उत्साह देखा गया। मेट्रो शहरों की तर्ज पर जोधपुर में यह पसंद किया जाने लगा तो अब मारवाड़ के अन्य शहरों में भी यह कॉन्सेप्ट पहुंचेगा।