मामला पीपाड़ पंचायत समिति के सरगिया कलां गांव से जुड़ा है। कामकाज की तलाश में गोविंदसिंह के पिता नाहरसिंह परिचितों के साथ पुणे चले गए। गैस एजेंसी में नौकरी मिलने के उपरांत पुत्र को उच्च शिक्षा से जोडऩे के उद्देश्य से नाहरसिंह ने बेटे को पुणे के निजी स्कूल में भर्ती करा दिया। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि अचानक एक दिन स्कूल से घर आते हुए गोविंदसिंह बिना बताए ही अचानक गायब हो गया। पुणे में 10 मई 2003 में हुई इस घटना के बाद परिजनों ने हरसंभव तलाश की लेकिन गोविंदसिंह का कोई सुराग नही लगा। आखिर पिता ने निकटतम बिबवे वाड़ी पुलिस चौकी में पुत्र की गुमशुदगी दर्ज करवाकर कई मर्तबा स्थानीय समाचार पत्रों में गुमशुदा तलाश का विज्ञापन भी दिया गया, लेकिन वर्षो बाद भी गोविंदसिंह का कोई सुराग नही मिलने से माता-पिता के अलावा अन्य परिजनों ने घटना को अनहोनी से जोड़कर तलाश बंद कर दी।
सोशल मीडिया बना मददगार- गोविंदसिंह के चाचा दुर्गसिंह वर्तमान में पुणे में ही प्राइवेट नौकरी करते है। दुर्गसिंह ने बताया कि कुछ दिन पूर्व फेसबुक पर चेटिंग करने के दौरान फ्रेंड सजेशन ऑप्शन में एक आइडी पर फोटो और नाम को देखकर वो चौंक गए। गोविंदसिंह के नाम से बनी आईडी पर फ़ोटो देख उन्हें अंदाजा हो गया कि यही वो गोविंदसिंह है जो 15 वर्षो पूर्व गुमशुदा हो गया था। फेसबुक पर मिली आइडी पर दर्ज मोबाइल नम्बर पर संपर्क किया गया तो गोविंदसिंह ने आपबीती सुनाते हुए घर आने की इच्छा जाहिर की। चाचा ने बेंगलुरु में रह रहे गोविंदसिंह की ऑनलाइन टिकट बनाकर उसे भेज अपने पास पुणे बुला लिया, मंगलवार को गोविंदसिंह पुणे पहुंच गया है तथा परिजनों के साथ माता पिता से मिलने के लिए वहां से रवाना हो गया है, गुरुवार शाम तक उसके गांव पहुचने की संभावना जताई जा रही है।
पूरे गांव को बेसब्री से इंतजार-
एकलौते पुत्र के वियोग में माता विमल कंवर अक्सर चिंता में लगी रहती थी। पिता नाहरसिंह हमेशा ढांढस बंधाते रहे। मंगलवार को जैसे ही गोविंदसिंह के मिलने की सूचना मिली तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है, गुरुवार के दिन का सबको बेसब्री से इंतजार है, जब गोविंदसिंह 15 वर्षो बाद अपने पैतृक गांव की जमीन पर कदम रखेगा।