यह मामला सारण नगर रेलवे फाटक से आरटीओ कार्यालय तक की सडक़ को चौड़ा करने और डामरीकरण का है। पिछले पांच साल से इस सडक़ को ८० फीट चौड़ा करने की तैयारी चल रही है। जोधपुर विकास प्राधिकरण में जब कांग्रेस का बोर्ड था तो सबसे पहले इस सडक़ की रूपरेखा बनी। सडक़ चौड़ी करने के लिए जमीन अधिग्रहण हुए। ६ करोड़ ९१ का मुआवजा बांटा गया। लेकिन तभी विवादों का दौर शुरू हो गया। एक व्यक्ति यशवंत देवड़ा की जमीन में राजस्व मार्ग बता दिया गया। इसके बाद प्रार्थी ने मुआवजा बांटने व सडक़ को चौड़ा करने के मामले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के समक्ष रखा। एसीबी ने मामले को गंभीर मानते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली और मामले की जांच शुरू कर दी है।
पूरा ही नहीं हो रहा निर्माण इस सडक़ को चौड़ा करने का काम श्रेय लेने की राजनीति के चक्कर में पूरा नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस सरकार के समय आधी पक्रिया हुई और फिर भाजपा सरकार आ गई। एेसे में कुछ स्थानीय लोग यह नहीं चाहते कि इस सडक़ का निर्माण पूरा हो। एसीबी में गया मामला इस मामले में प्रार्थी देवड़ा की ओर से गैर मुमकिन मार्ग का मुआवजा दिलाने व उतनी ही राशि का सरकार को नुकसान पहुंचाने का मामला एसीबी को दिया गया। इसमें आरोप लगाए गए हैं कि राजस्व मार्ग की चौड़ाई को लेकर मौके पर कहीं भी चिह्निकरण या बिना सीमांकन के ही मुआवजे की गणना कर ली गई। इसमें एक ओर के खातेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए यह हुआ। एसीबी ने इस मामले को दर्ज कर लिया है। मामले में जांच के लिए बयान लिए जा रहे हैं।
दो नोटिस दिए इस मामले को लेकर दो नोटिस जारी किए गए। पत्रिका ने पूर्व में इस मामले को उठाया तो मलबा लाकर डाल दिया और दो दिन तक काम चला। इसके बाद पुन: काम बंद कर दिया गया। इस मामले में अधिशासी अभियंता याकूब भाटी से बात की तो उन्होंने काम शुरू होने की बात कही। खास बात यह है कि ठेकेदार फर्म को पहले भी नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
यह है सडक़ का मामला – करीब तीन किलोमीटर सडक़ चौड़ा करना व डामरीकरण कार्य था। – जनवरी माह में काम शुरू होना था। लेकिन अभी भी कुछ दिन काम चलने के बाद बंद हो जाता है।
– भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा बांट दिया गया। – मार्ग सीमा से अब भी दो स्थानों पर अतिक्रमण नहीं हटे और एलाइनमेंट भी नहीं हुआ।