इस सर्किल पर सबसे ज्यादा बार प्रयोग किया गया। लेकिन कोई सफल नहीं हुआ। दो बार इसे तोड़ कर छोटा किया गया। इसके बाद फिर बना। अभी हाल ही में करीब दो साल पहले इसे वर्तमान स्वरूप में लाया गया। इसके लिए करीब 40 लाख से अधिक की राशि खर्च की गई है। अभी भी यातायात नियंत्रण करने के लिए बेरिकैडिंग की सहायता ली जा रही है।
इसे अभी एक साल पहले ही करीब 20 लाख की राशि में नया बनाया गया है। करीब तीन साल पहले जब पांच अन्य सर्किल तोड़ कर छोटे किए गए तो इसे भी प्रयोगशाला में शामिल किया गया। लेकिन यातायात तब भी नियंत्रण में नहीं आया। वाहनों की कतारें लगने लगी। अब रंगारंग फव्वारों के साथ आकर्षक लुक देने में राशि खर्च की गई है।
सर्किल प्रयोगशाला में इसको भी शामिल किया गया था। इसे भी तोड़ कर महज मूर्ति तक ही सीमित कर दिया गया था। वर्तमान में इसके विस्तार और विकास का काम चल रहा है। इस पर भी करीब 15 लाख से अधिक की राशि खर्च की होगी। इस सर्किल के आस-पास कई बार ट्रैफिक लाइट शुरू और बंद कर प्रयोग किए गए।
– खेतसिंह बंगला सर्किल: नवीनीकरण छह माह पहले किया गया है। 20 लाख से अधिक राशि खर्च।