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खीचन में फिर मिली रिंगिंग कॉलर लगी कुरजां

locationजोधपुरPublished: Feb 18, 2019 12:40:42 am

Submitted by:

pawan pareek

क्षेत्र के पर्यटन को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले मेहमान पक्षी कुरजां अब खीचन में पक्षी पर्यटन के साथ ही पक्षी अनुसंधान की उम्मीदें भी जगा रहे हैं।

Ringing collar found kurja in Khichan

खीचन में फिर मिली रिंगिंग कॉलर लगी कुरजां

फलोदी (जोधपुर). क्षेत्र के पर्यटन को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले मेहमान पक्षी कुरजां अब खीचन में पक्षी पर्यटन के साथ ही पक्षी अनुसंधान की उम्मीदें भी जगा रहे हैं।

हाल ही सैटेलाइट टैग लगी कुरजां के मिलने के बाद रविवार को खीचन में फिर रिंगिंग कॉलर लगी कुरजां मिली है। इस कुरजां के एक पैर में नंबर लिखा टैग लगा है तथा दूसरे पैर में रिंग लगी है।
पक्षी विशेषज्ञों ने टैग लगी इस कुरजां को जानकारी प्राप्त करने के लिए शोध संस्थानों व वैज्ञानिकों से सम्पर्क किया तो, इस कुरजां को रूस के स्टेपी पर्वतमाला से टैग करने की पहचान हुई। गौरतलब है कि खीचन में पहली बार स्टेपी पर्वतमाला से टैग की हुई कुरजां की पहचान हुई है।
खीचन के पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि आज सुबह पक्षी चुग्गाघर में जब कुरजां दाना लेने पहुंची, तो एक पक्षी के पैर में सफेद रंग की रिंग नजर आई। काफी देर तक प्रयास कर कुरजां का फोटो खींच लिया। जिसमें कुरजां के एक पैर में सफेद रिंग लगी है तथा दूसरे पैर में टैग लगा है। टैग पर के6 अंकित है।

जुलाई 2018 में किया था टैग

आयूसीएस के स्वास्थ्य विशेषज्ञ समूह सदस्य व सेठ जीबी पोदार कॉलेज, नवलगढ़ के प्राणी विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. दाऊलाल बोहरा ने बताया कि आज खीचन में सफेद रिंग व टैग के साथ मिले कुरजां पक्षी की पहचान के लिए संबंधित फोटोग्राफ रूस के शोध संस्थानों व वैज्ञानिकों को भेजकर उनसे सम्पर्क किया।
इसमें इस कुरजां को टैग करने संबंधित जानकारी प्राप्त हो गई है। के 6 अंकित कुरजां को रूस के अल्टाई गणराज्य में स्थित वाविलोव इंस्टीट्यूट ऑफ जनरल जेनेटिक्स ऑफ रसियन एकेडमी ऑफ सांइस के प्रयोगशाला प्रमुख दिमित्री पोलीटोव द्वारा स्टेपी पर्वतमाला के कोस अगाच जिले से टैग किया था। टैग करते समय इस कुरजां की उम्र करीब 30-35 दिन थी। इस दौरान कुल 34 कुरजां को टैग किया था। टैग का मुख्य उद्देश्य यह था कि कुरजां के प्रवसन मार्ग, प्रवसन स्थलों पर समस्याएं आदि जानकारी प्राप्त की जाए।

पहली बार मिली स्टेपी से टैग की कुरजां

डॉ. बोहरा ने बताया कि खींचन में अब तक टैग किए हुए मिले कुरजां पक्षियों में यह पहला मामला है, जिसमें स्टेपी पर्वतमाला से टैग किया हुआ पक्षी यहां मिला है। स्टेपी पर्वतमाला का यह क्षेत्र कुरजां का प्रजनन स्थल है तथा यहां वर्तमान में-40 डिग्री सैल्सियस के आस-पास तापमान है। ऐसे में यहा चारों ओर बर्फ की चादर बिछ जाने से कुरजां के इस मौसम में जीवन यापन मुश्किल है तथा भोजन की उपलब्धता नहीं रहती है।
सीजन में तीसरी बार मिला टैग किया पक्षी
कुरजां का यह शीतकालीन प्रवास पक्षी विशेषज्ञों के लिए काफी उम्मीदें लेकर आया है। इस सीजन में अब तक तीन पक्षी ऐसे मिले है। इनको शोध के लिए टैग किया है। जिसमें 17 फरवरी को रिंगिंग कॉलर, 4 फरवरी को सोलर सैटेलाइट टैग व 15 दिसम्बर 2018 को रिंगिंग कॉलर लगी मिली कुरजां शामिल है।

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