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सवा सेर गेहूं में जीवंत हुई किसानों की दुर्दशा, पटना में हुए इप्टा के कार्यक्रम में छाया जोधपुरी रंगमंच का जादू

locationजोधपुरPublished: Nov 05, 2018 04:12:39 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

इस राष्ट्रीय समारोह में जोधपुर के दल के अलावा मुम्बई के रमेश तलवार, मकरंद देश पाण्डे, नादिरा बब्बर आदि के नाटक भी मंचित हुए।

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जोधपुर. भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के राष्ट्रीय प्लैटिनम जुबली समारोह के तहत बिहार के पटना स्थित भारतीय नृत्य कला मंदिर के दीना पाठक रेखा जैन सभागार में जोधपुर की रंग संस्था आकांक्षा संस्थान ने राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। इसमें डॉ. विकास कपूर की ओर से निर्देशित व चित्रा मुद्ग्ल द्वारा रूपान्तरित नाटक सवा सेर गेहंू का प्रसिद्ध नाटककार असगर वजाहत के मुख्य आतिथ्य में मंचन किया गया। इसमें नाटक के केन्द्रीय पात्र शंकर की जीवन व्यथा ने दर्शकों की आखें नम कर दीं। शंकर की भूमिका में मोहम्मद इमरान जब स्याही से भरा अपना अगूंठा गांववालों को दिखाता है तो डॉ. विकास कपूर द्वारा अभिनीत विप्र महाराज के किरदार की कठोरता और बेरहम चरित्र मंच पर अवतरित होता है। अपने घर आए एक साधु (राजकुमार चौहान) को जिमाने की खातिर शंकर द्वारा विप्र महाराज से उधार लिए सवा सेर गेहूं के बदले सात साल बाद साढ़े पांच मन गेहूं चुकाने पर विवश किया जाना साहूकारी प्रथा व किसानों की दुर्दशा का जीवन्त वर्णन इस नाटक में किया गया।
शंकर की मृत्यु पर उसकी पत्नी कमला (नेहा मेहता) का विलाप दर्शकों को झकझोर देता है। अंत में मुख्य किरदार का पुत्र बुधवा (विकास साफी) भी बधुंआ मजदूरी के दलदल में आकर फंस जाता है। प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द की कहानी पर आधारित इस नाटक के अन्य किरदारों में रामेश्वर (अभिषेक त्रिवेदी), ग्रामीण महिला (चंचल चौधरी), ग्रामीणजन (मनोहर सिंह चौहान, पार्थ सारथी तिवारी, हिमांशु जोशी), फुलवा (अफजल हुसैन) ने भी अपने किरदारों को प्रस्तुत कर अपना प्रभाव छोड़ा। इस नाटक में संगीत नौशाद व गौरव वशिष्ठ ने दिया और प्रकाश सफी मोहम्मद का रहा। नेपथ्य में शीतल चौधरी का सहयोग रहा और प्रस्तुति नियंत्रण प्रवीण कुमार झा का था। इस राष्ट्रीय समारोह में जोधपुर के दल के अलावा मुम्बई के रमेश तलवार, मकरंद देश पाण्डे, नादिरा बब्बर आदि के नाटक भी मंचित हुए।

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