शंकर की मृत्यु पर उसकी पत्नी कमला (नेहा मेहता) का विलाप दर्शकों को झकझोर देता है। अंत में मुख्य किरदार का पुत्र बुधवा (विकास साफी) भी बधुंआ मजदूरी के दलदल में आकर फंस जाता है। प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द की कहानी पर आधारित इस नाटक के अन्य किरदारों में रामेश्वर (अभिषेक त्रिवेदी), ग्रामीण महिला (चंचल चौधरी), ग्रामीणजन (मनोहर सिंह चौहान, पार्थ सारथी तिवारी, हिमांशु जोशी), फुलवा (अफजल हुसैन) ने भी अपने किरदारों को प्रस्तुत कर अपना प्रभाव छोड़ा। इस नाटक में संगीत नौशाद व गौरव वशिष्ठ ने दिया और प्रकाश सफी मोहम्मद का रहा। नेपथ्य में शीतल चौधरी का सहयोग रहा और प्रस्तुति नियंत्रण प्रवीण कुमार झा का था। इस राष्ट्रीय समारोह में जोधपुर के दल के अलावा मुम्बई के रमेश तलवार, मकरंद देश पाण्डे, नादिरा बब्बर आदि के नाटक भी मंचित हुए।