सर्वे के अनुसार गोडावण की संख्या का घनत्व क्षेत्र में 0.86 प्रति 100 वर्ग किमी में एक से भी कम है। रिपोर्ट में गोडावण की संख्या 70 से 169 तक संभावित मानी गई है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की संकटग्रस्त जातियों की रेड डाटा सूची के अनुसार गोडावण को गंभीर रूप से विलुप्तप्राय की श्रेणी में रखा गया है । इस प्रकार के विलुप्त हो रहे वन्यजीव पर शोध और संरक्षण की जिम्मेदारी पहली बार किसी स्थानीय विश्वविद्यालय को सौपी गई है। गोडावण मुख्य रूप जैसलमेर जिले के डीएनपी सेंचुरी के सुदासरी, गजेई माता व आसपास के इलाकों में से चांधन, खेतोलाई, पोकरण व रामदेवरा में विचरण करते हैं। यहां भी उनकी संख्या दिनोंदिन घटते रहना चिंता का विषय है।
खतरों की पहचान व समाधान पर होगा शोध नए प्रोजेक्ट के तहत जैसलमेर में वर्तमान में गोडावण की संख्या का विवरण और स्टेटस, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का प्रयोग करते हुए सैटलाइट इमेज की सहायता से गोडावण के लिए उपयुक्त आवास स्थल का मैप तैयार किया जाएगा। सम्भावित खतरों की पहचान और उनके समाधान पर शोध किया जाएगा। यह शोध गोडावण के संरक्षण में सहायक होंगे।
डॉ हेमसिंह गहलोत, सहायक आचार्य, प्राणि शास्त्र विभाग जेएनवीयू