राजस्थान में करीब एक सप्ताह की देरी से 2 जुलाई को मानसून आया था। इसके बाद इसने पश्चिमी राजस्थान में करीब बीस दिन देरी से प्रवेश किया। अगस्त में मानसून की जमकर बरसात हुई थी। सितम्बर के दूसरे पखवाड़े में भी मानसून की अच्छी बरसात हुई। राजस्थान में इस साल मानसून की औसतन बारिश 583.6 मिलीमीटर हुई है जबकि सामान्य बरसात का औसत 415 मिमी है। यानी 40 प्रतिशत अधिक बरसात हुई। प्रदेश के 33 जिलों में से केवल तीन जिले अलवर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में ही बारिश का टोटा रहा। वहीं 9 जिलों में सामान्य से अधिक बरसात और 12 जिलों में सामान्य से बहुत अधिक बरसार रिकॉर्ड की गई।
भारतीय मौसम विभाग का जयपुर कार्यालय मानसून की गणना 1 जून से 30 सितम्बर तक ही मानता है। एक अक्टूबर से मौसम विभाग ने अपने रजिस्टर बदल दिए थे यानी अक्टूबर में होने वाली बरसात को मानसून की बरसात नहीं मानकर उसे दूसरे सीजन में जोड़ा जाएगा।
प्रदेश में सिंचाई विभाग की ओर से मानसून के समय में 1 जून से लेकर 30 सितम्बर तक सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण कक्ष खोला जाता है। जो तहसीलों के साथ बांधों में पानी की आवक को रिकॉर्ड करता है। तीस सितम्बर तक मानसून नहीं हटने पर सिंचाई विभाग ने अग्रिम आदेश तक सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों को चालू रखने के निर्देश दिए थे। संभवत: अब एक-दो दिन में ये बंद हो जाएंगे।
मध्यप्रदेश, गुजरात, दादर व नगर हवेली, दमन व द्वीप, गोवा, महाराष्ट्र, अण्डमान-निकोबार, पुदूचेरी, कर्नाटक, लक्ष्यद्वीप, राजस्थान, सिक्किम।
इन राज्यों में कम हुई बरसात
जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड, मणिपुर, पश्चिमी बंगाल, झारखण्ड, चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश
शिवगणेश, निदेशक, भारतीय मौसम विभाग जयपुर केंद्र