पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि खीचन पंहुचे पक्षियों ने अब यहां अपनी दिनचर्या शुरू कर दी है तथा सुबह करीब 7 बजे पक्षी चुग्गाघर पंहुचकर चुग्गा ले रहे हैं। फिर गांव के विजयसागर व रातड़ीनाडी तालाबों पर अठखेलियां करते हैं। शाम को पक्षी नमक उत्पादन क्षेत्र में जाकर रात्रि विश्राम करके सुबह फिर से खीचन का रुख कर लेते हैं।
25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान है जरूरी जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के प्राणि विज्ञान के सहायक आचार्य डॉ. हेमङ्क्षसह गहलोत का कहना है कि कुरजां पक्षी सामान्यतया 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान में रहने के अनुकूल है तथा इन दिनों क्षेत्र में दिन का तापमान ज्यादा होने के कारण पक्षियों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में मानसून की बारिश कम होने के कारण पक्षियों की संख्या प्रभावित हो सकती है।
साथ ही कम बारिश वाले क्षेत्रों में भोजन की उपलब्धता भी प्रभावित हुई है। वहीं अब तक कुछ जगहों पर पक्षी पंहुचे है तथा कई जगहों पर पक्षियों का इंतजार है। गुजरात में यहां से ज्यादा बारिश के कारण पक्षियों के गुजरात पंहुचने की जानकारियां भी मिल रही है। यहां दिन के तापमान में कमी के साथ ही पक्षियों की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है।
ऐसे लौटती है कुरजां की रौनक
मंगोलिया से प्रतिवर्ष शीतकालीन प्रवास पर खीचन आने वाले मेहमान पक्षी कुरजां के खीचन में दस्तक देने के बाद अब पक्षी अपने पड़ाव स्थलों की जांच-पड़ताल में जाते हैं और धीरे-धीरे कभी चुग्गाघर, तो कभी तालाब पर जाकर सुरक्षा के लिहाज से पड़ाव स्थलों की पहचानते हैं।
5500 किमी का सफर तय करते हैं
करीब 5500 किमी का सफर तय प्रतिवर्ष खीचन आने वाले कुरजां 24 अगस्त को जोधपुर में देखी गई थी तथा 2 सितम्बर को खीचन आई। खीचन पंहुचने के दौरान पक्षी आकाश में अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ते हुए देखे गए। उसके बाद पक्षियों ने अपने पड़ाव स्थलों पर विचरण करना शुरू कर दिया है।