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जोधपुर में दिखा #MeToo का असर, छात्रा ने कहा MBM engineering college की लैब में अश्लील मूवी देखते हैं कर्मचारी!

locationजोधपुरPublished: Oct 11, 2018 10:13:12 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

कॉलेज छात्रा ने दी बेनाम लिखित शिकायत, कहा, लैब कर्मियों की अश्लील हरकतों से परेशान हैं छात्राएं
 

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गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. हॉलीवुड से उठा मीटू कैंपेन का असर जहां बॉलीवुड इंडस्ट्री में भूचाल लाया हुआ है। वहीं इसका असर जोधपुर के जयनारायण व्यास विवि के अधीन एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में देखने को मिल रहा है। हालांकि इसमें छात्रा ने किसी शिक्षक, कर्मचारी या छात्र पर आरोप नहीं लगाए हैं बल्कि पूरे विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। यहां के इलेक्ट्रोनिक्स विभाग की एक छात्रा ने कॉलेज व विवि को बेनाम शिकायती पत्र लिख लैब के तीन कर्मचारियों पर लैब में अश्लील फिल्में देखने और भद्दे इशारे करने का आरोप लगाया, लेकिन शिकायत गुमनाम होने व सबूत नहीं होने से आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
छात्रा ने इलेक्ट्रोनिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश भदादा के नाम लिखे पत्र की कॉपी कॉलेज डीन और विवि प्रशासन को भी दी थी। इसमें कहा कि लैब में मुख्य कर्मचारी व उसके दो साथियों की अश्लील हरकतों से छात्राएं लैब में प्रैक्टिकल के दौराने सहमी-सहमी रहती हैं। पत्र में एक कर्मचारी का नाम लिखते हुए छात्रा ने कहा उसकी ऊंची पहुंच की वजह से वह अपने नाम से शिकायत नहीं कर रही। ऐसा करने से उसे बीटैक का रिजल्ट खराब होने की आशंका है। पत्र में विवि प्रशासन से हाथ जोडकऱ कार्रवाई करने और न्याय दिलाने की मांग की थी।
जांच कमेटी को सबूत की तलाश

डीन प्रो. एसके ओझा ने मामले की जांच के लिए प्रो. वीएस चौहान और प्रो. रेणु भारद्वाज की जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने शिकायत में उल्लेखित कर्मचारी के बयान और अन्य कर्मचारियों व शिक्षकों से फीड बैक लिया। शिकायतकर्ता छात्रा के सामने नहीं आने और कर्मचारियों के विरुद्ध सबूत नहीं मिलने से जांच कमेटी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।
छात्रा हमसे मिले, नाम गुप्त रखा जाएगा


‘पत्र में शिकायतकर्ता छात्रा का नाम नहीं था। इससे यह साबित नहीं हो पाया कि घटना कब की है और इसमें कौन-कौन शामिल हैं। छात्रा मुझसे मिल सकती है। उसका नाम गुप्त रखा जाएगा। उसका रिजल्ट खराब नहीं होगा।
प्रो. राजेश भदादा, विभागाध्यक्ष, इलेक्ट्रोनिक्स विभाग

कोई सबूत नहीं


‘शिकायत गुमनाम होने से कमेटी को कोई सबूत नहीं मिला। ऐसे में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

प्रो. एसके ओझा, डीन, एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज
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