इस योजना का एक हिस्सा किसानों को सीधे लाभ देगा। 7.5 एचपी तक के सोलर पैनल लगाने के लिए किसानों को केन्द्र सरकार की ओर से 30 प्रतिशत, राज्य सरकार की ओर से 30 प्रतिशत और नाबार्ड की ओर से ऋण के रूप में 30 प्रतिशत सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 10 प्रतिशत की राशि किसान खुद वहन करेगा। यह पैनल डिस्कॉम के ग्रिड से जुड़ेंगे। अतिरिक्त बिजली डिस्कॉम खरीदेगा। किसानों को कृषि बिजली अब तक रात में 7 से 8 घंटे उपलब्ध होती है। अब दिन में कृषि बिजली उपलब्ध करवाने की मांग इस योजना से पूरी होती दिख रही है।
जोधपुर डिस्कॉम सहित अन्य जिलों में फिलहाल ग्रिड चिह्नित करने का काम चल रहा है। एमओयू होने पर डिस्कॉम के सहायक अभियंता कार्यालय में आवेदन भी कर सकेंगे।
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प्रदेश की क्षमता ऐसे बढ़ेगी कुसुम योजना का एक हिस्सा सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने से भी जुड़ा है। इसमें डिस्कॉम जीएसएस के आस-पास 500 केवी से लेकर 2 मेगावाट तक के सोलर संयंत्रों की स्थापना करना है। इसके लिए कोई निजी व्यक्ति भी अपनी अनुपजाऊ जमीन पर प्लांट लगा सकता है या जमीन डिस्कॉम को उपलब्ध करवा सकता है। इस प्रकार करीब एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने का लक्ष्य है। यदि ऐसा होता है तो वर्तमान सौर ऊर्जा उत्पादन जो कि करीब 3 हजार मेगावाट है वह बढ़ कर 4 हजार मेगावाट से अधिक हो सकता है।
यह तैयारी प्रदेश में
जोधपुर, जयपुर और अजमेर डिस्कॉम को 2-2 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन से जोडऩे के लिए 100-100 सब स्टेशन चिह्नित करने को कहा गया है। मतलब पूरे प्रदेश में 300 सब स्टेशन ऐसे होंगे जहां करीब 600 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी। इसके अलावा छोटे 500 केवी के प्लांट भी अलग से होंगे।
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इस योजना का एमओयू होने के बाद स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी। फिलहाल ग्रिड व सब स्टेशन के आस-पास जमीन चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रमुख ऊर्जा सचिव ने जानकारी मांगी है। उस लिहाज से उपलब्ध करवा रहे हैं।
– अविनाश सिंघवी, प्रबंध निदेशक, जोधपुर डिस्कॉम।