रजनीश और उनके कारीगर विक्रमसिंह ने बताया कि फीके मावे से मावे की कचोरी बनाते हैं। मैदे में देसी घी का मोयन और पानी एक निश्चित अनुपात मिला कर मावे की बनी गोलियों को भरा जाता है। मावे की गोलियों में जावत्री, जायफल, छोटी इलायची और बड़ी इलायची मिलाते हैं, इसे कचोरी का भरावन या फिलिंग कहते हैं। इससे कचौरी तैयार होती है। कचौरी को देसी घी में तलते हैं। पूरी तरह पक जाने पर कचौरी में से घी निकाल देते हैं और इसे चाशनी में डुबो कर रखा जाता है। लीजिए तैयार हो गई मीठी खुशबू से महकती चाशनी में भीगी मावे की कचौरी। उन्होंने बताया कि एक किलो मैदे से २५-३० मावे की कचौरी तैयार हो जाती है।