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जोधपुर एम्स में कांगो फीवर से दो की मौत

locationजोधपुरPublished: Sep 11, 2019 01:07:47 am

Submitted by:

Abhishek Bissa

कांगो का खौफ
10 दिन में कांगो के 3 मरीज सामने आए, 2 ने दम तोड़ा, दो परिजन और डॉक्टर-नर्स समेत चार संदिग्ध ऑब्जर्वेशन में

जोधपुर एम्स में कांगो फीवर से दो की मौत

जोधपुर एम्स में कांगो फीवर से दो की मौत

जोधपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जोधपुर एम्स) में भर्ती क्रीमियन कांगो हैमरेजिक फीवर (सीसीएचएफ) से पीडि़त दो मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में बोरूंदा निवासी महिला इन्द्रा (40) और जैसलमेर के हतार पुलिया निवासी युवक लोकेश (18) शामिल हैं। इन्द्रा की मौत दो दिन पहले हुई। उसकी मौत के बाद कांगो पॉजिटिव की रिपोर्ट आई। वहीं दूसरी मौत मंगलवार देर रात पौने बारह बजे हुई। चिकित्साकर्मियों ने जैसलमेर निवासी युवक को सीपीआर देने का प्रयास किया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। एम्स में जैसलमेर निवासी मृतक के दो परिजन भर्ती हैं, जिनमें कांगो के लक्षण मिले हैं। वहीं एम्स के मेडिसिन विभाग का फस्र्ट इयर का एक रेजिडेंट और एक नर्स भी ऑब्जर्वेशन में हैं।
कांगो फीवर से महिला की मौत की पुष्टि एम्स अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद सिन्हा ने की है। वहीं मृतक लोकेश की रिपोर्ट भी मंगलवार शाम को ही पॉजिटिव आई है। लोकेश लंबे समय से एम्स में भर्ती था। मृतक इन्द्रा की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सीएमएचओ डॉ. बलवंत मंडा मंगलवार को टीम के साथ बोरूंदा पहुंचे। वहीं कांगो फीवर पीडि़त डाली बाई मंदिर निवासी मरीज अहमदाबाद अस्पताल से उपचार लेकर सोमवार सुबह जोधपुर पहुंच गया। फिलहाल इस मरीज को चिकित्सकों ने पांच दिन आइसोलेटेड रहने को कहा है।
बोरूंदा में 50 से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए
मृतक महिला का अंतिम संस्कार गांव में हुआ। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मृतक के अंतिम संस्कार में शामिल सभी लोगों व अन्य परिजन समेत 50 से ज्यादा सैंपल लिए। यहां आसपास के पशुबाड़ों में फोगिंग व स्प्रे करवाया जाएगा।
सुलगता सवाल : रैफर के खेल में तो नहीं गई जानें?
एम्स प्रशासन ने गत 6 सितंबर को डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज को कांगो फीवर संदिग्ध मरीज को रैफर करने के लिए पत्र लिखा था। एम्स प्रशासन का कहना था कि उनके यहां ऐसे मरीजों को रखने के लिए अलग से सुविधा नहीं है। जबकि एमडीएम अस्पताल में ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अलग से एक्यूट केयर वार्ड भी स्थापित किया गया था। सवाल यह है कि क्या इन विवादों के बीच मरीजों ने एम्स में दम तोड़ दिया? डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि एम्स खुद सक्षम है, ऐसे मरीजों का उन्हें इलाज करना चाहिए। वहीं एम्स प्रशासन डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज को शुरू से मना कर रहा है कि उनके पास कांगो फीवर का उपचार नहीं है।

2015 में हुई थी दो नर्सिंगकर्मियों की मौत

गौरतलब है कि जनवरी 2015 में एक निजी अस्पताल के दो नर्सिंगकर्मियों की मौत भी कांगो फीवर से हुई थी। उसके बाद इसी साल प्रदेश में कांगो के मामले सामने आए हैं।
क्या है कांगो फीवर?

क्राइमीन कान्गो हेमेरेजिक फीवर (सीसीएचएफ) एक गंभीर वायरल हेमेरेजिक फीवर है। यह घरेलू जानवरों के शरीर पर चिपके परजीवी कीड़े के माध्यम से फैलता है। कीड़े के काटने या पशुओं के स्त्राव और टिश्यू के संपर्क में आने से इंसानों में भी यह रोग आ जाता है। पीडि़त मरीजों के खून और अन्य स्त्राव के संपर्क में आने से यह बीमारी एक से दूसरे में फैलती है। तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी और पूरे शरीर में दर्द के साथ विभिन्न अंगों से रक्त स्राव और अंदरुनी ब्लीडिंग भी होती है।
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