ये क्रोमोसोम्स जीन या जिनेटिक और डवलपमेंटल बीमारियां होती हैं। कुछ एलर्जीज भी होती हैं। एेसे ही 10 लाख में से किसी एक व्यक्ति के एक छोटी पूंछ होती है। इसे एटाविज्म कहते हैं। मरीज में जन्मजात एन्जाइम की कमी होती है। उनका मेटाबॉलिज्म डिस्ऑर्डर या यूं कहें कि मेटाबॉलिज्म खराब होता है। एेसे रोगी पेरासिटामॉल या एेसी दूसरी टेबलेट पचा नहीं पाते।
-डॉ हर्ष भाटी( Dr Harsh Bhati ) ,ऑर्थोपेडीशियन,जोधपुर
—
डाक्टर्स अपडेट रहेंगे तो अच्छा इलाज होगा
नये डॉक्टर्स को समझना होगा कि अगर कोई मरीज दूसरी, तीसरी बार आया है और बार-बार नई समस्याएं बता रहा है तो उसके साथ समय बिताना जरूरी है। ट्रीटमेंट पार्ट में अपनी ईगो साइड में रख कर पेशेंट का इलाज करना चाहिए। मेडिकल साइंस की नई जानकारी, प्रयोगों और दवाइयों के बारे में अपडेट रहेंगे तो एेसे मरीजों का समय पर अच्छा इलाज होगा।
-डॉ.रोहित माथुर ( Dr Rohit Mathur ) , कॉर्डियोलॉजिस्ट,जोधपुर