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जोधपुर

International Mother Language Day प्रख्यात रंगकर्मी रमेश बोराणा के विचार

जोधपुर ( jodhpur news current news ) .अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस ( international mother language day ) हर साल 21 फरवरी को मनाया जाता है। राजस्थान सरकार ने इस बार 21 फरवरी को प्रदेश के स्कूलों व कॉलेजों में यह दिवस मनाने की घोषणा की है। स्कूलों और कॉलेजों में यह दिवस 20 फरवरी को मनाने का आदेश जारी किया गया है। राजस्थान में यह दिवस 20 और 21 फरवरी दो दिन है। अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस ( Mother Language Day Special ) पर प्रस्तुत हैं प्रख्यात रंगकर्मी रमेश बोराणा ( Ramesh Borana ) के विचार :

जोधपुरFeb 19, 2020 / 08:15 pm

M I Zahir

International Mother Language Day special Artcilce of Famous Stage Artist Ramesh Borana

International Mother Language Day special Artcilce of Famous Stage Artist Ramesh Borana

जोधपुर( jodhpur news current news ) .अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस ( international mother language day ) हर साल 21 फरवरी को मनाया जाता है। राजस्थान सरकार ने इस बार 21 फरवरी को प्रदेश के स्कूलों व कॉलेजों में यह दिवस मनाने की घोषणा की है। महाशिवरात्रि का अवकाश 21 फरवरी को होने के कारण स्कूलों और कॉलेजों में यह दिवस 20 फरवरी को मनाने का आदेश जारी किया गया है( latest nri news in hindi ) । इस तरह राजस्थान में यह दिवस 20 और 21 फरवरी दो दिन है। अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस ( International Mother Language Day special ) पर प्रस्तुत हैं प्रख्यात रंगकर्मी और मुख्यमंत्री के पूर्व सांस्कृतिक सलाहकार रमेश बोराणा ( Ramesh Borana )के विचार :
पूरी दुनिया में जननी और जन्म भूमि की अभिव्यक्ति का सापेक्ष स्वरूप है मातृ भाषा। मातृ भाषा ही अपने में प्रकृति और पर्यावरण की स्थानिक अनुगूंज समेटे व्यक्ति की प्रथम पहचान के रूप में उसे परिभाषित करती है। यह मां के दूध की भांति रगों में घुल कर उसके कंठ स्वरों को शब्दों का आकार दे कर उसे परिवेश और समाज से जोड़ती भी है। मातृ भाषा ही समाज और संस्कृति की संवाहक है। यह उसकी जीवंत परम्पराएं और मान्यताएं आगे बढ़ाती है तो इतिहास-भूगोल को कसौटी पर कसते हुए वर्तमान व भविष्य का निर्धारण भी करती है। इस तरह भाषा एक सर्वकालिक संस्कार है, जो व्यक्ति को जन्म के साथ ही मिल जाता है।
किसी भी क्षेत्रीय संस्कृति को जानने समझने के लिए उसकी भाषा ही महत्वपूर्ण होती है। भाषा से ही व्यक्ति की संवेदना और गुणावगुण के बारे में पता लगा सकते हैं। मातृ भाषा दैनिक जीवन में उपयोग करने के लिए स्कूल जाने की जरूरत नहीं होती। यह तो स्वत: स्फूर्त और परिवेश में समाई हुई है। हमारा रोना-हंसना, दुख-सुख, रहन- सहन, खान-पान, आचार-विचार, रिश्ते-नाते, प्रेम-वियोग, बिणज-व्यौपार व संस्कृति-संस्कार सहित जन्म से मृत्यु तक हमारी संवेदनाएं और संवेग मातृ भाषा में ही अभिव्यक्त होते हैं।
विश्व में 6 हजार से अधिक भाषाएं हैं। भारत के विभिन्न अंचलों में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन पिछले 50 वर्षों में लगभग 220 क्षेत्रीय भाषाएं लुप्त हो गई हैं। मातृ भाषा ( Mother Language Day Special ) के लिए पूर्वी पाकिस्तान (पूर्वी बंगाल) जहां बहुसंख्यक बांग्ला भाषी थे, वे सड़कों पर उतर आए थे। फलस्वरूप वर्ष 1971 को नव राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ।
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने मातृ भाषा आन्दोलन को पहचान देने के लिए 17 नवम्बर 1999 कोप्रस्ताव पारित कर 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब से पूरे विश्व में 21 फरवरी को मातृ भाषा दिवस मनाया जाता है। सन 2020 का बीज वाक्य है -क्षेत्रीय भाषाओं के विकास व शांतिपूर्वक ढंग से संरचनात्मक स्थितियों में बदलाव के प्रयास व समन्वय स्थापित करना।
आज यह प्रश्न प्रासंगिक व स्वाभाविक है कि देश के सबसे बड़े राज्य और 10 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है ? क्या यह भाषा की आड़ में राजस्थानी संस्कृति का तिरस्कार और अपमान नहीं है ? जबकि विश्व स्तर पर प्रमाणित हो चुका है कि राजस्थानी भाषा ( Rajasthani Language Day ) समृद्ध संस्कृति और भाषा विज्ञान की समस्त अहर्ताएं रखती है। इसका विपुल साहित्य मौजूद है। यह कई कालेजों व विश्वविद्यालयों में उच्च स्तर पर पढ़ाई जाती है। साहित्य अकादमी में इसका अलग प्रकोष्ठ है। राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए राजस्थान सरकार वर्षों पहले संकल्प पारित कर भारत सरकार को भेज चुकी है। बहरहाल यदि भाषाएं राजनीति का शिकार होती हैं या कर दी जाती हैं या बोलियों व अन्य बेतुके सवाल उठा कर भटकाव पैदा किया जाता है तो यह समझ लेना चाहिए कि वक्त हमें कभी माफ नहीं करेगा।

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