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नहीं लग रहा अवैध कपड़ा धुलाई पर अंकुश, रंगो से मैली होती जोजरी से बढ़ता जा रहा है प्रदूषण

locationजोधपुरPublished: Jul 21, 2019 03:49:25 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

कपड़ों की रंगाई-छपाई का व्यापार जो कभी पश्चिमी राजस्थान की पहचान था और हजारों लोगों को रोजगार देने का जरिया बना, अब यहां के पर्यावरण के लिए अभिशाप बन गया है। टेक्सटाइल उद्योग पर्यावरण व उद्यमियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।

pollution in jojari river

नहीं लग रहा अवैध कपड़ा धुलाई पर अंकुश, रंगो से मैली होती जोजरी से बढ़ता जा रहा है प्रदूषण

अमित दवे/जोधपुर. कपड़ों की रंगाई-छपाई का व्यापार जो कभी पश्चिमी राजस्थान की पहचान था और हजारों लोगों को रोजगार देने का जरिया बना, अब यहां के पर्यावरण के लिए अभिशाप बन गया है। टेक्सटाइल उद्योग पर्यावरण व उद्यमियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। टेक्सटाइल, स्टील आदि इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट पानी से जोजरी नदी प्रदूषित हो गई है। इस रासायनिक पानी से जोधपुर का दाग धुलने की अपेक्षा और अधिक खराब हो गया है। समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है बल्कि यह विकराल होती जा रही है। इधर पिछले 5 वर्षों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती भी लगातार बढ रही है। हाल ही में बोरवेल पर रोक लगा दी है। ऐसे में वैध टेक्सटाइल फैक्ट्रियों पर संकट पैदा हो गया है। जोजरी में अनुपचारित रासायनिक पानी छोड़ा जा रहा है और नदी जहरीली होती जा रही है।
पाली-बालोतरा ने जोधपुर की समस्या को कई गुना बढ़ाया
पाली-बालोतरा में एनजीटी की सख्ती के बाद वहां के उद्यमियों ने जोधपुर का रुख किया। उद्यमियों ने जोधपुर में बड़े भाड़े पर इकाइयां किराए पर लेकर नियमों की अवहेलना कर जोधपुर की प्रदूषण की समस्या को कई गुना बढ़ा दिया। हाल यह हो गए कि जेपीएनटी की सदस्य इकाइयां पाली-बालोतरा से बड़ी मात्रा में आ रहा कपड़े धोने लग गई और निर्धारित मात्रा से अधिक पानी डिस्चार्ज होने लग गया। यही नहीं, कई नए औद्योगिक क्षेत्र, गैर सदस्य व अवैध इकाइयां स्थापित हो गई, जिनमें पाली-बालोतरा से आ रहे कपड़े की बड़ी मात्रा में धुलाई हो रही है।
1995 में पहली बार सामने आई थी प्रदूषण की समस्या
देश के प्रमुख बड़े राज्यों में औद्योगिक प्रदूषण की समस्या उजागर होने के बाद जोधपुर में टेक्सटाइल व स्टील उद्योगों की शुरुआत के बाद वर्ष 1995 में पहली बार प्रदूषण नामक समस्या सामने आई। उस समय टेक्सटाइल उद्यमियों ने फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी को उपयोग योग्य बनाकर काम में लेने या नदी में छोडऩे के प्रयास किए-

– केन्द्र सरकार द्वारा जोधपुर में 20 एमएलडी क्षमता का सीइटीपी लगाने के लिए 10 करोड़ रुपए का अनुदान देना
– राज्य सरकार के रीको विभाग द्वारा सीईटीपी स्थापित करने के लिए सांगरिया में 9 एकड़ जमीन उपलब्ध करना
– 2003 में 20 एमएलडी क्षमता वाला सीईटीपी संयंत्र चालू
– टेक्सटाइल फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी को खुले रीको नालों के माध्यम से सीईटीपी तक पहुंचाने की व्यवस्था
– वर्ष 2008-09 में टेक्सटाइल उद्योगों से निकलने वाले पानी को क्लोज्ड कॉन्ड्यूट पाइपलाइन से सीईटीपी साइट तक पहुंचाने की व्यवस्था।
– स्टेनलेस स्टील री-रॉलर्स इकाइयों के निस्तारित पानी का एचडीपीई पाइपलाइन से सीईटीपी साइट तक ले जाने की व्यवस्था।
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