वे पिछले 26 सालों से साल में 300 दिन इसी यात्रा पर रहते है। उनके इस जज्बे को देख तीन जिलों के कई गांवों के लोग दर्शन के लिए उमड़ पड़ते है। जब वे यात्रा पर रहते है तो लोग इनके पीछे पहुंचकर घर से बना खाना पहुंचाते है।
आईदानाराम बताते है कि उन्होंने 69 वर्ष की उम्र में रामदेवरा की 26 यात्रा पूरी कर चुके है। अब वह 27 वीं गौ-माता के नाम यात्रा कर रहे है। इनकी यात्रा झुंझाला (नागौर) से रामदेवरा हर वर्ष चलती है। वे जब चामू पहुंचे तो उन्हें देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
अकेले रामदेवरा के लिए दंडवत यात्रा करने वाले संत आईदानाराम परेशानियों में ही खुशियां मानते है। उनका मानना है कि भक्ति – श्रद्धा के कारण गीत-बाजे के साथ उनका रथ यूं ही यात्रा के लिए चलता रहता है। उन्हें कोई परेशानियां महसूस ही नहीं होती है। उनके लिए भोजन व पानी की व्यवस्था भी रास्ते में आने वाले श्रद्धालु ही करते है।