राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में याचिकाकर्ता मोतीसिंह की ओर से दायर अवमाानना याचिका की सुनवाई के दौरान राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव संजय मल्होत्रा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। अवमानना के मामले में एक और प्रतिवादी राजस्व मंडल की रजिस्ट्रार विनिता श्रीवास्तव की ओर से हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र पेश किया गया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। याची की मूल याचिका पर कोर्ट ने राज्य में सहायक कलक्टरों के 99 पद सृजित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पदों का सृजन नहीं करने पर अवमानना याचिका पेश की गई।
अतिरिक्त महाधिवक्ता रेखा बोराणा और मल्होत्रा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अधीनस्थ राजस्व अदालतों के रूप में सहायक कलक्टर व कार्यपालक मजिस्ट्रेट (नियमित) के 29 और सहायक कलक्टर व कार्यपालक मजिस्ट्रेट (फास्ट ट्रैक) के 48 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन दोनों पदों के विरुद्ध केवल 12 अधिकारी पदस्थापित हैु। इसी तरह 289 उपखंड अधिकारियों के स्वीकृत पदों के विरुद्ध 258 अधिकारी पदस्थापित हंै। सभी संवर्गों में वर्तमान में 96 पद रिक्त हैं। बोराणा ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2016 में शुरू हुई आरएएस भर्ती परीक्षा अब पूरी हुई है और इनमें 92 अधिकारी चयनित हुए हैं, जिनमें से 87 अधिकारियों ने प्रशिक्षण ज्वाइन कर लिया है।
इन अधिकारियों को जनवरी, 2020 में प्रशिक्षु के तौर पर सहायक कलक्टर पद पर लगाया जाएगा। याचिकाकर्ता मोतीसिंह ने कोर्ट को बताया कि सरकार तार्किक तरीके से राजस्व अदालतों के लिए अधिकारियों की नियुक्ति नहीं कर रही, जिसके चलते राज्य में वर्तमान में 2 लाख 72 हजार 373 राजस्व वाद लंबित चल रहे हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि यह आकलन करना आवश्यक है कि किन जिलों में लंबित वादों की संख्या ज्यादा है, जहां प्राथमिकता से सहायक कलक्टरों की नियुक्ति की जानी आवश्यक है। इस पर राज्य सरकार को तीन दिन में सभी अधीनस्थ राजस्व अदालतों में लंबित मामलों का ब्यौरा मांगा गया है।