याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि सोमवार को इस मामले में सुनवाई स्थगित हो गई। मंगलवार को इस मामले में पुन: सुनवाई होगी। दरअसल, चिकित्सा विभाग ने 30 मई, 2018 को अनुसूचित क्षेत्र के लिए 522 एवं गैर अनुसूचित क्षेत्र के लिए 6035 नर्स ग्रेड-द्वितीय पदों पर भर्ती विज्ञापित की थी।
इस भर्ती में चयन का आधार सीनियर सैकंडरी व नर्सिंग डिप्लोमा के अंकों का 70 प्रतिशत अंक तथा अधिकतम 30 प्रतिशत अंक अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर जोडकऱ मैरिट तैयार की जानी है।
अधिवक्ताओं ने बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया में मात्र दस्तावेजों का सत्यापन ही किया जाना है, जिसमें विभाग बिना कट ऑफ जारी किए कम प्राप्तांक वाले अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुला रहा है।
जबकि याचिकाकर्ताओं ने अधिक अंक प्राप्त किए हैं। विभाग द्वारा दस्तावेज सत्यापन के लिए जारी निर्देश व सूची में कई अभ्यर्थियों के नाम दो से चार बार अंकित हैं और कम प्राप्तांक वाले अभ्यर्थियों के नाम भी अंकित है।
याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार ने 23 जून, 2019 को एक परिपत्र जारी करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को वर्तमान में विचाराधीन प्रक्रिया में आरक्षण देने का आदेश दिया है।
इसके बावजूद नर्सिंग भर्ती प्रक्रिया में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जा रहा। इस पर कोर्ट ने सरकार को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाए गए अभ्यर्थियों का विवरण भी ऑनलाइन करने को कहा था।