मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा की खंडपीठ ने मनोजकुमार पंवार की ओर से दायर अवमानना याचिका में आदेश देते हुए कहा कि उनके मत में अप्रार्थी आशापूर्णा बिल्डकॉन के खिलाफ कोर्ट के पूर्ववर्ती आदेश की पालना नहीं करने पर अवमानना का स्पष्ट प्रकरण बनता है। कोर्ट ने पिछले साल 27 अप्रैल को जनस्वास्थ अभियांत्रिकी विभाग और डवलपर को आशापूर्णा नैनोमैक्स कॉलोनी में दो महीने के भीतर पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। इसकी पालना नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका पेश की थी।
याची के अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने कोर्ट को बताया कि डवलपर की ओर से आशापूर्णा नैनोमैक्स कॉलोनी में पिछले कई सालों से पेयजल का इंतजाम नहीं किया गया है। इससे सैकड़ों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दो महीने का समय दिया था और डवलपर को अपेक्षित कदम उठाने के निर्देश दिए थे। लेकिन कॉलोनी में ओवरहेड और अंडरग्राउंड टैंक का निर्माण नहीं करवाया गया। इसके चलते जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कॉलोनी के बाहर तक पाइप लाइन बिछाने के बावजूद पेयजल का कनेक्शन नहीं दे पा रहा। पुरोहित ने बताया कि डवलपर ओवरहेड टैंक के निर्माण से बचना चाहता है। जबकि वर्ष 2011 में जेडीए को लिखे पत्र में उसने स्वीकार किया था कि टैंक का निर्माण उनके द्वारा किया जाएगा।
अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल ने कहा कि पीएचईडी ने अपना दायित्व पूरा कर लिया है, लेकिन ओवरहेड टैंक का निर्माण नहीं होने से कॉलोनीवासियों को पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाया है। खंडपीठ ने रिकॉर्ड पर आए तथ्य देखते हुए आशापूर्णा बिल्डकॉन के निदेशक को अवमानना की कार्यवाही में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।