आसाराम के अधिवक्ता निलेश बोहरा तथा गोकुलेश बोहरा ने न्यायालय के समक्ष सीआरपीसी की धारा 437 अंतर्गत जमानत याचिका पेश कर मामले को झूठा बताते हुए अभियुक्त के लंबे समय से जेल में बंद रहने के आधार पर जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया। सरकारी अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि अभयुक्त पर राजकार्य में बाधा डालने तथा पुलिस अधिकारी को धमकाने के गंभीर आरोप है। पीठासीन अधिकारी लव प्रजापति ने दोनों पक्षों को सुनकर जमानत स्वीकार कर ली। अदालत ने 25 हजार रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर अभियुक्त आसाराम को रिहा करने का आदेश दिया। इस मामले में आरोपी शिवा को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
आसाराम के समर्थकों ने उदयमंदिर थानाधिकारी हरजीराम का रावजमानतण रूपी कार्टून बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। इसके अलावा जान से मारने की धमकी भी दी थी। पुलिस ने इस मामले में आसाराम के खिलाफ जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या तीन की अदालत में चालान पेश किया था। बाद में एडीजे कोर्ट ने आसाराम को आशिंक राहत देते हुए कुछ धाराओं को हटा दिया था।
उधर, अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में आसाराम के साथ दोषी करार दिए गए उसके सहयोगी शरद की सजा स्थगन याचिका पर सुनवाई टल गई। अब इस याचिका पर सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी। शरद को बीस साल की सजा से दंडित किया गया है और वह फिलहाल जेल में है।