ज्ञात है कि आरबीआई की ओर से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के मद्देनजर बैंकों ने ब्याज दरों में वृद्धि किए जाने के संकेत दिए हैं। रिजर्व बैंक ने Repo Rate को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट को भी 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया है ।
रिजर्व बैंक के इस कदम से घर, कार और दोपहिया वाहनों की EMI बढ़ सकती है। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक एसबीआई के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्रीय बैंक ने लगातार दूसरी बैठक में नीतिगत दरों में एक चौथाई की बढ़ोतरी की है जो ब्याज दरों में वृद्धि का स्पष्ट संकेत है।
मौद्रिक नीति घोषणा के बाद ज्यादातर बैंक अपनी जमा और लोन की ब्याज दरों को नए सिरे से तय करेंगे। इस बदलाव के बाद होम लोन सहित लगभग सभी तरह के लोन महंगे होने की संभावना है। देश के कई प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों का मानना है कि नीतिगत दरों में वृद्धि किए जाने से ऋण महंगे हो जाएंगे।
पत्रिका ने व्यापारी, नौकरीपेशा वर्ग एवं गृहण्एियों से बात की तो उनकी तरफ से यह गणना सामने आई।
व्यापारियों पर ऐसे पड़ेगा प्रभाव
हर व्यापारी बैंकों से ऋण लेकर ही व्यावसाय करते हैं। अधिकत्तर व्यापारी बैंकों से सीसी या ओडी लेते हैं। चूंकि व्यापारियों का व्यावसाय बड़ा होता है और जो रेपो रेट बढ़ी उससे उनके ऋण पर अधिक भार नहीं बढ़ेगा। लेकिन यह तय है कि जो भी भार पड़ेगा, व्यापारी वह ग्राहक से ही वसूलेगा। जोधपुर सोजती गेट व्यापारिक संस्था के अध्यक्ष शिवप्रकाश सोनी के अनुसार रेपो रेट बढऩे के बाद यदि कोई व्यापारी बैंक से एक लाख की सीसी या ओडी लेता है तो उस पर प्रति माह 26 रूपए और दस लाख की सीसी या ओडी पर 260 रुपए के ब्याज का भार बढ़ेगा।
गृहणियों की ऐसे बढ़ेगी मुश्किल
जिस घर का मासिक बजट 40 हजार है। उस घर में रसोई मद में कम से कम 6 से 7 हजार का खर्च होता है। रसोई मद के खर्च में किराणा, सब्जियां-फल, दूध, रसोई गैस सिलेण्डर आदि की खरीद शामिल है। रेपो रेट बढऩे से जैसे ही बैंक ऋण की ईएमआई बढ़ेगी, तब घर के बाकि खर्चों में कटौती करना तय है। ऐसे में सीधे रूप से एक गृहणी के लिए रसोई का बजट ही संभालना बेहद मुश्किल होगा।
नौकरीपेशा ऐसे होंगे परेशान
मान लेते हैं कि एक नौकरीपेशा का मासिक वेतन 40 हजार है। इस नौकरीपेशा की आवास-वाहन खरीद पेटे बैंक ऋण की किश्त, बच्चों की स्कूल की फीस, रसोई का खर्च, वाहन ईंधन, पानी-बिजली-फोन के बिल, बीमा किश्त में ही पूरी तनख्वाह खर्च हो जाती है। इस बीच यात्रा-ट्यूर, सिनेमा, बच्चों की पिकनिक आदि पर खर्च होता है तो बजट बिगड़ जाता है। रेपो रेट बढऩे से हर मद पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं।
रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है। रेपो रेट बढऩे का मतलब है कि जब बैंकों को रिजर्व बैंक से महंगा कर्ज मिलेगा तो उसका बोझ ग्राहकों पर ही पड़ेगा। यानी आम ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा हो जाएगा।
रेपो रेट बढऩे का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड लेंगे, उन्हें नई दर पर कर्ज मिलेगा। महंगी दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का बोझ बैंक अपने उपभोक्ता पर बढ़ाते हैं। यह बोझ आपके साथ महंगे कर्ज और बढ़ी हुई ईएमआई के तौर पर बांटा जाता है।
यूं बढ़ेगी आपकी EMI
लोन राशि————अवधि———–वर्तमान ब्याज दर———वर्तमान EMI
30 लाख————20 साल———8.50त्न—————–26034 रुपए
75 लाख————20 साल——-8.50त्न——————-65086 रुपए लोन राशि————अवधि————नई ब्याज दर————नई EMI
30 लाख————20 साल————8.75त्न—————-26511 रुपए
75 लाख————20 साल————8.75त्न—————-66278 रुपए लोन राशि———— अवधि———EMI में बढ़ोतरी——कुल ब्याज बढ़ोतरी
30 लाख————20 साल———-477——————-114480
75 लाख————20 साल———-1192——————286080
लोन राशि————अवधि———–वर्तमान ब्याज दर———वर्तमान EMI
30 लाख————20 साल———8.50त्न—————–26034 रुपए
75 लाख————20 साल——-8.50त्न——————-65086 रुपए लोन राशि————अवधि————नई ब्याज दर————नई EMI
30 लाख————20 साल————8.75त्न—————-26511 रुपए
75 लाख————20 साल————8.75त्न—————-66278 रुपए लोन राशि———— अवधि———EMI में बढ़ोतरी——कुल ब्याज बढ़ोतरी
30 लाख————20 साल———-477——————-114480
75 लाख————20 साल———-1192——————286080