नागौर जिले के ईनाणा गांव निवासी डॉ. ईनाणिया के पिता श्यामलाल ईनाणिया पेशे से पटवारी हैं और बरसों से भोपालगढ़ तहसील क्षेत्र में ही कार्यरत हैं। शुरु से ही पढ़ाई में मेधावी रहे डॉ. ईनाणिया ने बारहवीं कक्षा के बाद मेडिकल सेवा में जाने के लिए पीएमटी की तैयारी की और पहले ही प्रयास में उनका चयन वैटेनरी डॉक्टर के लिए हो गया। पढ़ाई के बाद पशु चिकित्सक पद पर नियुक्ति मिली। मन में प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य था। जिसके चलते उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित आएएस परीक्षा दी और नायब तहसीलदार के पद पर चुने गए। पिछले करीब छह माह से भी अधिक समय से भोपालगढ़ में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं।
नायब तहसीलदार के पद पर कार्य करते वक्त उन्हें पता चला कि क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सकों के अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं और इस वजह से ग्रामीण पशुपालकों को अपने बीमार मवेशियों के इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो उन्होंने तहसील क्षेत्र के सभी पशु चिकित्सालयों में यह संदेश भिजवा दिया, कि कभी भी वहां कार्यरत कम्पाउण्डरों को गंभीर रुप से बीमार पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सक के रुप में उनकी जरुरत पड़े, तो वे उन्हें बुला सकते हैं। इसके बाद तो लगभग रोजाना क्षेत्र के किसी न किसी पशु चिकित्सालय से उनके लिए बुलावा आने लगा और वे भी वहां पहुंचकर गंभीर रुप से बीमार पशुओं का इलाज करते हैं।
पशु चिकित्सकों के लगभग सभी पद रिक्त होने से जरुरत पडऩे पर मैं खुद वहां पहुंचकर बीमार पशु का इलाज कर देता हूं। इससे मेरे खाली समय का सदुपयोग हो जाता है और ग्रामीण जनता व पशुपालकों को भी सुविधा मिल जाती है।
– डॉ. कैलाश ईनाणिया, नायब तहसीलदार, भोपालगढ़