मुख्य न्यायाधीश एस. रविंद्र भट्ट (Chief Justice S. Ravindra Bhatt) और न्यायाधीश विनितकुमार माथुर की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुमित सिंघल की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित को राज्य की ओर से नोटिस स्वीकार करने के निर्देश दिए।
याची ने कोर्ट को बताया कि आपराधिक मामले की प्रत्येक सूचना का पंजीकरण ई-सुविधा के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि पीडि़त पक्षकार और आमजन को मुकदमा दर्ज करवाने के लिए थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़े।
ई-सुविधा से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने में विलंब होने सहित पुलिस द्वारा मामले को दर्ज नहीं करने पर धारा 156 उपधारा 3 सीआरपीसी के तहत अधीनस्थ अदालतों में दायर परिवादों में भी कमी आने की संभावना है।
याचिका में बताया गया कि गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को जारी एडवाइजरी 2015 के तहत भी पुलिस थाने के क्षेत्राधिकार से बाहर कारित आपराधिक मामलों में जीरो नंबरी एफआइआर दर्ज करने की बाध्यता है। आपराधिक न्याय सिस्टम के डिजीटलीकरण के लिए केंद्र सरकार ने सीसीटीएनएस पोर्टल तैयार किया है।