जोधपुर सहित 13 ऐसे मरुस्थलीय जिले हैं जहां ग्रामीण क्षेत्र में जो भी पेयजल योजना बनती है तो वहां 70 लीटर प्रति व्यक्ति उपभोग माना जाता है। जबकि सामान्य जिलों में यह उपभोग 40 लीटर प्रति व्यक्ति ही माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का वितरण मीटर से नहीं बल्कि औसत से होता है। ऐसे में जब सीएम ने 40 लीटर उपभोग तक किसी प्रकार का चार्ज नहीं लेने की बात कही तो मरुस्थलीय जिलों को राहत नहीं मिल रही थी।
दरअसल, मरुस्थलीय गांवों में कुल 70 लीटर पानी प्रति व्यक्ति के लिहाज से दिया जाता है। इसमें 40 लीटर पानी तो इंसान के उपभोग के लिए और 30 लीटर पानी पशुओं के लिए होता है। जो भी पेयजल योजना बनती है वह इसी लिहाज से पूरे प्रदेश में होती है। लेकिन सीएम की शुरुआती घोषणा में इस बात का ध्यान नहीं रखा गया तो अब इसे हरी झंडी दी गई है।
मरुस्थलीय जिलों में प्राकृतिक जलस्रोत की कमी सरकार ने मानी है। इसीलिए यहां पशुओं के लिए 30 लीटर पानी का औसत रखा गया है। यह पानी सरकार ही सप्लाई करती है। अन्य जिलों में जल स्रोत होने पर वहां यह भार सरकार पर नहीं होता।
– 50 हजार से ज्यादा ग्रामीण कनेक्शन जोधपुर में लाभान्वित होंगे। – 3 माह तक ग्रामीण कनेक्शन वालों को नहीं मिल रहा था लाभ।
– 15 लाख लीटर पानी जोधपुर जिले में अतिरिक्त उपभोग होगा।
मरुस्थलीय क्षेत्रों में योजनाएं 70 लीटर प्रति व्यक्ति उपभोग के हिसाब से बनती है। इसलिए पहले जो घोषणा हुई उसमें कुछ संशय था। अब उस संशय को दूर किया गया है। – नीरज माथुर, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पीएचईडी जोधपुर।