गैर जाट प्रत्याशी लहरा रहे विजय पताका
जींद उपचुनाव के मैदान में तीन प्रमुख दलों के जाट प्रत्याशी है। भाजपा ने गैर जाट पंजाबी प्रत्याशी उतारा है। इस रणनीति में जींद सीट के 1977 से लेकर अब तक के चुनावी नतीजे को ध्यान में रखा गया है। वर्ष 1977 से लेकर 2014 के चुनाव तक इस सीट पर जाट बहुल होने के बावजूद गैर जाट प्रत्याशी जीते है।
यह है भाजपा प्रत्याशी को चुनने का आधार
भाजपा ने वर्ष 2009 और 2014 में इंडियन नेशनल लोकदल के टिकट पर लगातार दो बार जीते पंजाबी समुदाय के हरिचंद मिढा के निधन पर उनके पुत्र कृष्ण मिढा को पार्टी में शामिल कर पिता की जगह टिकट दिया है। हरिचंद मिढा पेशे से चिकित्सक होने के कारण राजनीति से अधिक समाजसेवा करते थे और इसलिए उन्हें जाट वोट भी मिलते थे। इसी छवि के मद्येनजर भाजपा ने हरिचंद मिढा के पुत्र कृष्ण मिढा को चुनाव मैदान में उतारा है। भरोसा यह किया गया कि कृष्ण मिढा गैर जाट वोट बहुमत में लेकर कुछ जाट वोटों को छीनते हुए भाजपा के लिए पहली बार जींद सीट जीत कर इतिहास रच देंगे।
यह है कांग्रेस प्रत्याशी का प्लस पाइंट
लेकिन प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल इंडियन नेशनल लोकदल के पीछे तीसरे नंबर पर खडी कांग्रेस इस उपचुनाव से यह संदेश देना चाहती है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले उसका ग्राफ बढा है। इसलिए उसने पहले से ही कैथल से विधायक रणदीप सुरजेवाला को जींद उपचुनाव में प्रत्याशी बनाने का दांव खेला है। सुरजेवाला स्वयं को मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के बतौर पेश करते रहे है। इसलिए उन्होंने अपने संबोधनों में गैर जाट मतदाताओं को भी रिझाने का रूख अपनाया है। इसके चलते सुरजेवाला की छवि एक उदार जाट नेता के रूप में बनी है और वे जाट समुदाय के अलावा गैर जाट और खासकर दलित समुदाय में भी अपना समर्थन बनाए हुए है। ऐसे में जहां भाजपा जींद उपचुनाव का गणित अपने पक्ष में देख रही थी अब कठिनाई का अनुभव कर रही है।
भाजपा के सामने नाराज टेकराम को मनाने की चुनौती
उधर जींद क्षेत्र की कंडेला खाप के नेता टेकराम कंडेला पिछले साल नवंबर में इस उम्मीद के साथ भाजपा में शामिल हुए थे कि इस उपचुनाव में उन्हें टिकट दिया जाएगा। अब टिकट न दिए जाने से वे बगावत पर उतारू हैं। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी को जाट समुदाय से मिलने वाला समर्थन वे रोक सकते है। अब उपचुनाव के दौरान ही भाजपा के सामने रूठे हुए टेकराम कंडेला को मनाने की चुनौती भी खडी हो गई है। इससे पहले पार्टी के नेता जवाहर सैनी को पार्टी में नए आए कृष्ण मिढा को टिकट देने का विरोध करने पर मनाया गया था।