एनजीटी को सौंपेंगे रिपोर्ट
काटली नदी में अवैध खनन और अतिक्रमण को लेकर अमित कुमार व कैलाश मीणा ने एनजीटी में याचिका लगाई थी। इस पर एनजीटी ने प्रशासन, पर्यावरण एवं जल संरक्षण से जुड़े पांच विभागों के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया था। यह समिति काटली नदी की वास्तविक स्थिति और राज्य सरकार द्वारा अवैध खनन व अतिक्रमण को रोकने के लिए की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तैयार करेगी।
डीएमएफटी से काटली का हो समतलीकरण
जांच टीम को ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफटी) के द्वारा काटली नदी में अवैध खनन से बने गड्ढे समतलीकरण हो। काटली नदी बहाव में बने बांधों को हटाया जाए व अवैध खनन बंद हो। यदि यह व्यवस्था होती है तो यमुना जल के लिए भी अलग से कोई प्लेटफॉर्म तैयार करने की जरूरत नहीं रहेगी। कम खर्चे में काटली नदी के माध्यम से लोगों को यमुना जल मिल सकता है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
काटली नदी में अवैध खनन को लेकर गुरुवार को राजस्थान पत्रिका ने ‘चार जिलो की नजर फिर भी काटली नदी में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। टीम ने गुरुवार से ही खंडेला सेवली से शुरू होने वाली काटली नदी में सर्वे शुरू किया। टीम शुक्रवार को झुंझुनूं जिले में पहुंची। टीम ने काटलीपुरा, पचलंगी, बाघोली, पापड़ा,सुनारी घाट, जोधपुरा, नौरंगपुरा, कांकरिया में सर्वाधिक अवैध खनन माना है। काटली नदी बहाव क्षेत्र के साथ खातेदारी भूमि में भी बड़े पैमाने में अवैध खनन देखा गया।
इनका कहना है
एनजीटी में काटली नदी में हो रहे अवैध खनन व अतिक्रमण की शिकायत की गई थी। जल संसाधन व भू जल विभाग, केंद्रीय व राज्य प्रदूषण मंडल, खनिज विभाग, राजस्व विभाग की टीम सर्वे कर रही है। सर्वे रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को सौंपी जाएगी। प्रदीप कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी राज्य प्रदूषण बोर्ड सीकर एनजीटी के आदेश पर शेखावाटी में बारिश में बहने वाली काटली नदी का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे में देखा गया कई जगह पर तो खनन माफियाओं ने नदी को पूरा रौंद रखा है। अवैध खनन के कारण बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं। सर्वे रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को सौंपी जाएगी।
प्रवीण जैन, वैज्ञानिक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल भोपाल