कभी चलन से बाहर नहीं होगी फोटोग्राफी इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जेवी वैशम्पायन ने कहा कि फोटोग्राफी जीवित को मूर्त रूप में जीवित करने की कला है। फोटोग्राफी एक ऐसी विधा है, जो कभी चलन से बाहर नहीं होगी और इसमें वास्तव में समय को रोक लेने की क्षमता है। इस कार्यक्रम का आयोजन यहां बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के ललित कला संस्थान द्वारा विश्व फोटोग्राफी दिवस-2019 के अवसर पर किया गया। इसे ‘बुन्देलखण्ड की धरोहर व दृश्य चित्र’ नामक छायाचित्र प्रदर्शनी का नाम दिया गया। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि एक बच्चा फोटो में हमेशा बच्चा ही रहता है और पक्षी उड़ता ही रहता है। इस तरह फोटोग्राफी सतत गतिमान शाश्वत समय में से एक क्षण को कैद कर लेती है और यही इसकी खूबी और सबसे बड़ा आकर्षण है। उन्होंने कहा कि वर्तमान तकनीकी युग में हर व्यक्ति के पास कैमरे हैं, आंखें भी होती हैं और वो छायांकन भी करते हैं परन्तु फोटोग्राफर का सौन्दर्यबोध, विषय की समझ, उसकी रचनात्मकता एवं फोटोग्राफी की तकनीकों के उचित मिश्रण से महान फोटोग्राफ का छायांकन सम्भव हो पाता है।
स्टूडेंट्स के लिए बनेगा प्रेरणास्रोत इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.देवेश निगम ने ललित कला संस्थान के इस आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्थान का यह प्रयास छात्र-छात्राओं को उन्हें एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर बनने की प्रेरणा देगा। प्रो. निगम ने कहा कि कहा भी जाता है कि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है लेकिन एक विशेष छायाचित्र सैकड़ों रिपोर्टों से भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के साथ-साथ फोटोग्राफी की विधा में कई तकनीकी बदलाव देखे हैं और समय के साथ इसमें नए-नए क्षेत्र जुड़ते चले जा रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया संस्थान की समन्वयक डा.श्वेता पाण्डेय ने मंचासीन अतिथियों को स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा कहा कि 19 अगस्त को प्रतिवर्ष विश्वभर में मनाये जाने वाले विश्व फोटोग्राफी दिवस मुख्य उद्देश्य विश्वभर के फोटोग्राफरों को एकजुट करना है। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष नियमित रूप से इसका आयोजन किया जाता रहा है। डा.पाण्डेय ने कहा कि फोटोग्राफी वर्तमान में हमारे जीवन का एक अभिन्न भाग हो चला है। पहले डिजीटल कैमरों तथा वर्तमान में मोबाईल फोन के कैमरों ने लगभग हर व्यक्ति के हाथ में कैमरा दे दिया है। डा.पाण्डेय ने बताया कि प्रदर्शनी में आमंत्रित कलाकारों में वाराणसी के प्रो.शान्ति स्वरूप सिन्हा व डा.विनय त्रिपाठी, जबलपुर से मुकुल यादव व डा.अरूणा एवं छतरपुर से डा.सुधीर कुमार छारी के अतिरिक्त विभिन्न स्थानों से आये ख्यातिप्राप्त 200छायाकारों के 400 छायाचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। इस अवसर पर प्रसिद्ध चित्रकार अनिल कुशवाहा, सुरभि उपध्याय व शुभम विश्वकर्मा को भी सम्मानित किया गया।
ये लोग रहे उपस्थित इस अवसर पर समन्वयक प्रवेश प्रो.प्रतीक अग्रवाल, डा.एस.के.जैन, डा.मुन्ना तिवारी, डा.पुनीत बिसारिया, डा.पीयूष भारद्वाज, डा.अजय कुंमार गुप्ता, डा.देवेन्द्र सिंह, डा.कौशल त्रिपाठी, डा.उमेश कुमार, डा.राधिका चौधरी डा.शिविका वर्मा, डा.रितु सिंह, डा.दिलीप कुमार, डा.जयराम कुटार, डा.मुकुल वर्मा, डा.आरती वर्मा सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।