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WORLD IODENE DEFICIENCY DAY 2018: आयोडीन के हैं ये फायदे, कमी रहने पर होती हैं ये तकलीफें

locationझांसीPublished: Oct 20, 2018 10:16:20 pm

Submitted by:

BK Gupta

WORLD IODENE DEFICIENCY DAY 2018: आयोडीन के हैं ये फायदे, कमी रहने पर होती हैं ये तकलीफें

problems due to deficiency of iodene

WORLD IODENE DEFICIENCY DAY 2018: आयोडीन के हैं ये फायदे, कमी रहने पर होती हैं ये तकलीफें

झांसी। आयोडीन की अल्पता से विकार (आयोडीन डिफ़ीसिएन्सी डिसऑर्डर, आईडीडी) को दुनिया भर में प्रमुख पोषण संबंधी विकारों में से एक माना गया है। इसकी रोकथाम के लिए हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना और आयोडीन की कमी के परिणामों को उजागर करना है। आयोडीन की कमी की वजह से आज के परिदृश्य में दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी को आयोडीन अल्पता विकार से पीड़ित होने का खतरा है।
इतने देशों में हैं आयोडीन की कमी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लगभग 54 देशों में अभी भी आयोडीन की कमी है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित वर्ष 2009 के एक शोध के अनुसार भारत में 91 प्रतिशत घरों में आयोडीन युक्त नमक की पहुँच है। इसमें 71 प्रतिशत परिवार पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करते हैं। इसके अलावा इस शोध के अनुसार भारत में हर साल लगभग 90 लाख गर्भवती महिलाओं एवं 80 लाख नवजात बच्चों को आयोडीन अल्पता विकार का खतरा होता हैं। इसी को ध्यान में रखते हुये भारत दुनिया भर के देशों में से पहला एक ऐसा देश है, जिसने आयोडीन युक्त नमक द्वारा आयोडीन की कमी से उत्पन्न विकारों को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया, ताकि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से लोगों को बचाया जा सके।
इतने परिवार अभी भी नहीं करते उपयोग
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (एनएफएचएस-4) के अनुसार जिले में अभी भी लगभग 13.8 प्रतिशत ऐसे परिवार है जो आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके लिए लोगों में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है, ताकि उन्हें आयोडीन की कमी से होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।
रुक जाता है बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास
अपर मुख्यचिकित्साधिकारी डा एन के जैन ने बताया कि हर साल इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों के प्रति लोगों में जागरूकता लाई जा सके, क्योंकि आयोडीन युक्त नमक न खाने की वजह से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक जाता है और वह मंदबुद्धि के होते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की समस्याओं की रोकथाम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम और आशा के माध्यम से लोगों को आयोडीन युक्त नमक खाने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे कि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से उन्हें बचाया जा सके।
क्या है आयोडीन-
आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो मानव विकास और बढ़त के लिए आवश्यक है। इसकी शरीर को विकास एवं जीने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। आयोडीन का एक फायदा यह है कि यह थायराइड ग्रंथियों को सुचारु रूप से काम करने में मदद करता है और यह ग्रंथियां थाइराइड के हार्मोन्स छोड़ती हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिक स्तर नियंत्रित रहता है और यह मेटाबॉलिक स्तर शरीर के कई अंगों की कार्यशीलता को प्रभावित करता है जैसे- खाने को पचाने, भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने तथा सोने के चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आयोडीन की कमी से हो जाती हैं ये तकलीफें
इसके अलावा आमतौर पर सामान्य विकास और बढ़त के लिए लगभग 100-150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है और इस आवश्यकता की पूर्ति न होने पर व्यक्ति निम्नलिखित विकारों का शिकार भी बन सकती है। जैसे-
· आयोडीन की कमी से होने वाली सबसे आम बीमारी है घेंघा, इसमें गलग्रंथि (थायरायड ग्लैण्ड) में बड़ी गिल्टी बन जाती हैं। इसे गोयटर भी कहते हैं।
· गर्भावस्था के दौरान इसकी कमी होने पर बच्चा असामान्य हो सकता है और गर्भपात की स्थिति भी आ सकती है।
· आयोडीन की कमी से ऊर्जा में कमी, जल्दी थकावट भी हो सकती हैं।
· मां के शरीर में आयोडीन की कमी होने पर बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास हमेशा के लिए रुक जाता है। इस स्थिति को क्रेटीन कहते है। इसमें बच्चा ठीक प्रकार से चलने, फिरने या बोलने में असमर्थ होता है।
· बच्चों में आयोडीन नमक का प्रयोग न करने से बुद्धि का कम विकास होता है।
आयोडीन नमक रोजाना प्रयोग करने से लाभ-
· आयोडीन नमक रोजाना इस्तेमाल करने से तेज दिमाग, स्वस्थ एवं ऊर्जा से भरपूर शरीर, और कार्य क्षमता में भी बढ़ोतरी होती हैं।
· गर्भवती महिलाओं द्वारा आयोडीन नमक के इस्तेमाल करने से गर्भपात की समस्या भी नहीं होती है और स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है। इसके अलावा गर्भ में शिशु का शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण विकास भी होता है।
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