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NSS स्वयं सेवकों से किया आह्वान, राष्ट्र सेवा के लिए आत्म सुख का करें बलिदान

locationझांसीPublished: Sep 24, 2018 11:24:42 pm

Submitted by:

BK Gupta

NSS स्वयं सेवकों से किया आह्वान, राष्ट्र सेवा के लिए आत्म सुख का करें बलिदान

nss establishment day organised in bundelkhand university jhansi

NSS स्वयं सेवकों से किया आह्वान, राष्ट्र सेवा के लिए आत्म सुख का करें बलिदान

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो.वी के सहगल ने कहा कि ‘‘एक स्वयंसेवक के जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है। विद्यार्थी अपने शिक्षकों के दिखाये पथ का अनुसरण करे व अपने ज्ञान की शक्ति का प्रयोग मानव के कल्याण तथा राष्ट्र की सेवा के लिए करे।’’ वह यहां बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में आयोजित एनएसएस स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में स्वयं सेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को चाहिए कि वे सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में अपना योगदान दें, ताकि भारतवर्ष एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा हो सके। उन्होंने स्वयं सेवकों का आह्वान किया कि राष्ट्र सेवा के लिए आत्मसुख को बलिदान करना ही स्वयंसेवकों का कर्तव्य होना चाहिए।
ये होती है स्वयं सेवक की विशेषता
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम ने कहा कि एन.एस.एस. स्वयंसेवक ‘मैं’ में नहीं, आप में विश्वास करते हैं, तथा दूसरों की सेवा की शपथ लेते हैं। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक की उपलब्धि उसके विद्यार्थी होते हैं और किसी देश के नौजवान उस राष्ट्र की अमूल्य निधि होते हैं। कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. आर. के. सैनी ने कहा कि स्वयंसेवक यदि संकल्पबद्ध हो जायें, तो देश सामाजिक कुरीतियों से मुक्त हो सकता है। आज के दौर में युवाओं को सोशल लीडर के तौर में सामाजिक बुराइयों का खात्मा करने का बीड़ा उठाना चाहिए। विश्वविद्यालय में वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अनेकों रचनात्मक कार्यों को सीख सकते हैं।
संस्कृति और संस्कारों को बचाकर रखें
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के सम्पत्ति अधिकारी डा. डी. के. भट्ट ने कहा कि भौतिकतावादी युग में स्वयंसेवकों का उत्तरदायित्व है कि वे अपनी संस्कृति और संस्कार को बचा कर रखें। उन्होंने सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर चिन्ता जताते हुए स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि तकनीक का अगर हम सकारात्मक प्रयोग करते हैं तो यह समाज व राष्ट्र दोनों के लिए कल्याणकारी होता है। यदि तकनीक का दुरुपयोग किया जाता है तो यह विनाश को आमंत्रित करता है।
सामाजिक बदलाव के संवाहक बनें
एन. एस. एस. स्थापना दिवस की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के डीन, एकेडमिक व पूर्व कार्यक्रम समन्वयक प्रो. एस. पी. सिंह ने कहा कि समाज का भला करने के उद्देश्य से स्वयंसेवक कार्य करता है। यदि वह विद्वानों और चिन्तकों के मार्ग का अनुसरण कर ले तो उसके कार्यों का प्रतिफल दीर्घगामी होता है। उन्होंने कहा कि एन. एस. एस. के युवा स्वयंसेवक देश में किसी भी तरह के सामाजिक बदलाव के संवाहक हो सकते हैं। उन्होंने एन.एस.एस. के माध्यम से स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे सामाजिक बदलावों के विषय में स्वयंसेवकों को जानकारी दी।
ये लोग रहे उपस्थित
कार्यक्रम के प्रारम्भ में समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के एन.एस.एस. के कार्यक्रम समन्वयक डा. मुन्ना तिवारी ने एन.एस.एस. के इतिहास, उद्देश्यों और कार्यक्रमों का प्रकाश डाला। इस अवसर पर डा. नवेन्द्र कुमार सिंह, डा. फुरकान मलिक, डा. यतीन्द्र मिश्रा, डा. पुष्पेन्द्र सिंह चौहान, डा. शारदा सिंह, डा. पुष्पा वर्मा, डा. श्रीराम पटैरिया, डा. मिली भट्ट, डा. अमरेश, कमलेश राय, अजय यादव, प्रवीण लखेरा, श्रीमती ऊषा भदौरिया, मुकेश कर्दम, शुभम गौतम, शुभम लिटौरिया, संजय सतोइया, मयंक सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डा. मुहम्मद नईम ने किया। बाद में सभी के प्रति आभार डा. श्वेता पाण्डेय ने व्यक्त किया।

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