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राष्ट्रीय पोषण माह पर विशेष: बच्चों में कुपोषण को दूर करती हैं ये मुख्य सात बातें

locationझांसीPublished: Sep 25, 2018 10:03:10 pm

Submitted by:

BK Gupta

राष्ट्रीय पोषण माह पर विशेष: बच्चों में कुपोषण को दूर करती हैं ये मुख्य सात बातें

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राष्ट्रीय पोषण माह पर विशेष: बच्चों में कुपोषण को दूर करती हैं ये मुख्य सात बातें

झांसी। बच्चों को जन्म के शुरुआती दिनों में सही और पर्याप्त पोषण देने से बच्चों को कुपोषित होने से बचाया जा सकता हैं। असंतुलित और अपर्याप्त भोजन की वजह से बच्चे शीघ्र ही कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इसकी वजह से उन बच्चों में गंभीर बीमारियां जैसे- निमोनिया, दस्त एवं मलेरिया होने की ज्यादा संभावना हो जाती हैं। ऐसे में सात मुख्य बातें बच्चों में कुपोषण को दूर करती हैं।
ये बीमारियां ले लेती हैं जान
सेव दि चिल्ड्रन रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 6 मिलियन बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन से पहले मर जाते हैं। ज़्यादातर उन बच्चों की मौत निमोनिया, दस्त, मलेरिया एवं सेप्सिस जैसी बीमारियों के कारण होती हैं, क्योंकि इन बच्चों में कुपोषण के कारण बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे- 4 के आकड़ों के अनुसार कुपोषण के कारण झांसी में पांच साल से कम उम्र के लगभग 36 प्रतिशत बच्चे बौनेपन का शिकार, वहीं लगभग 39 प्रतिशत बच्चे कम वजन के एवं लगभग 77.8 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से पीड़ित हैं। ऐसे में लोगों को बच्चों में कुपोषण के कारण होने वाली समस्याओं से बचाव हेतु जागरूक करना बहुत जरूरी है, जिससे बच्चों की कुपोषण से होने वाली मृत्यु को रोका जा सके।
पर्याप्त पौष्टिक आहार की जरूरत
जिला कार्यक्रम अधिकारी, रामेश्वर पाल ने बताया कि कुपोषण वह अवस्था है जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन अपर्याप्त रूप से लेने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और शरीर कुपोषण का शिकार हो जाता हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि बढ़ती हुई उम्र के अनुसार बच्चों को स्तनपान के साथ-साथ पर्याप्त भोजन की भी आवश्यकता होती है। इसके न मिलने पर वह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषित बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसे बच्चों में डायरिया व निमोनिया जैसी बीमारियां होने की ज्यादा संभावना होती है। उनका कहना है कि कुपोषण से बचाव के लिए बच्चों को कंगारू मदर के साथ-साथ सही स्वास्थ्य सेवाएं और पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए, जिससे बच्चों को कुपोषित होने से बचाया जा सकता है।
बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए निम्न बातों का रखें विशेष ध्यान –
1- एक घंटे के अंदर कराये स्तनपान – सबसे जरूरी यह है की मां का पहला पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते हैं, यह बच्चे का पहला टीका होता है जिसे बच्चे को जन्म के एक घंटे भीतर पिलाया जाए। इससे बच्चे में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
2- केवल स्तनपान कराना- छ: महीने की उम्र तक बच्चे को केवल स्तनपान कराये, यहां तक कि पानी भी नहीं पिलाना चाहिए।
3- पूरक आहार- छह महीने के बाद स्तनपान के साथ-साथ बच्चों को पूरक आहार जरूर खिलाना चाहिए और यह पूरक आहार ज्यादा पतला नहीं होना चाहिए। इसके अलावा बच्चे को कुपोषण से बचाने हेतु उम्र के अनुसार बच्चे को खाना खिलाना चाहिए। बाहर की चीजें न खिलायें। घर का ही बना खाना जैसे- दलिया, खिचड़ी, सूजी का हलवा, केला, हरी सब्जियां आदि चीजों को मसल कर खिलायें जिससे बच्चे को पौष्टिक आहार मिल सके और वह कुपोषित होने से भी बच सकें।
4- बीमार पड़ने से बचाएं- बच्चों को कुपोषण से बचाव के लिए संपूर्ण टीकाकरण कराने तथा विटामिन ए की खुराक पिलाने तथा पेट के कीड़े की दवा खिलाने से बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियां जैसे- टीबी, काली खांसी, खसरा और रतौंधी, एनीमिया जैसी बीमारियों से भी बचाया जा सकता हैं, क्योंकि बार-बार बीमार पड़ना कुपोषण का प्रमुख कारण है।
5- बीमारी के दौरान खिलाना- बीमारी के दौरान भी बच्चों को खाना अवश्य खिलायें। जितना बच्चा खा सके उतना खिलायें, साथ ही स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
6- आंगनबाड़ी सेवाओं का उपयोग- आंगनबाड़ी केंद्र 5 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को पूरक आहार मुहैया कराता है। इसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं। इसको भी खिलाने से बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है।
7- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच- बीमारी के दौरान बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र जरूर ले जाना चाहिए, जिससे बच्चे को शीघ्र उपचार द्वारा बीमारियों की रोकथाम किया जा सके और उन बीमारियों से कुपोषित होने से बच्चों को बचाया भी जा सकता है।
रामेश्वर पाल ने बताया कि अगर कोई बच्चा गंभीर कुपोषित व बीमार है तो उसके बचाव के लिए बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराना चाहिए। यहां पर बच्चों को भर्ती कर उचित देखभाल की जाती है, जिससे बच्चा ठीक हो जाता है।

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