ऐसे मौके पर करें बुवाई
इस मौके पर उपनिदेशक ने कहा कि किसान और कृषि विकास के बीच प्रसार महत्वपूर्ण कड़ी है। इस कड़ी को मजबूत करके ही किसान को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है और शासन के अनुरूप उसकी आय दोगुनी की जा सकती है। बुंदेलखंड में कहावत है ‘तेरह कार्तिक, तीन आषाढ़’। यह कहावत खरीफ सीजन में प्रभावी प्रबंधन के महत्व को दर्शाती है। मानसून के सक्रिय होने एवं समुचित नमी की उपलब्धता होते ही उचित समय पर बुवाई, रोपाई, पौधरोपण की समुचित व्यवस्था करने से उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बुवाई से पूर्व भूमि प्रबंधन महत्वपूर्ण है। फसल उत्पादन के लिए सबसे पहला कदम खेत की तैयारी है। इसके लिए जुताई करके खेत को बुवाई योग्य बनाना है। उन्होंने मृदा परीक्षण कराए जाने का भी सुझाव दिया, ताकि यह ज्ञात हो सके कि हम कौन सी फसल लें, जो लाभ दे सके। उन्होंने जुताई कैसे करें, गर्मियों की जुताई कैसे करें, और उसके लाभ के विषय में किसानों को बताया।
ऐसे करें फसलों का चयन
इस मौके पर कार्यक्रम प्रभारी दीपक कुशवाहा विषय वस्तु विशेषज्ञ ने किसानों को बुंदेलखंड की परिस्थितियों में और अनुकूलता को देखते हुए किन फसलों का चयन किया जाना है, तथा अपने उत्पादन की लागत को कम करते हुए बाजार की मांग के अनुसार बिचौलियों के बिना अपने उत्पाद विक्रय को कैसे किया जाना है, इसके बारे में भी बिंदुवार जानकारी दी।