खेत से निकली प्याज की फसल खुले में व पेड़ों के नीचे पड़ी है। अचानक बारिश से किसान फसल व बोरियों को तिरपाल से ढंककर बचाने में जुटे रहे। प्याज गीले होने से सूखाने के लिए ढेर को उलट-पलट करना पड़ेगा। काली मस्सी रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। मुनाफा कमाने से पहले ही बेवजह मशक्कत हो जाएगी। बुआई के समय प्याज के बीज महंगे भावों में खरीद थे। किसान बार-बार होती बारिश से चिंतित हैं। अधिकांश किसानों के घरों में भण्डारण के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण खेतों में खुले पड़े हैं। बारिश से बचाव व रखरखाव के प्रबंध करना भी मुश्किल है। ऐसी परिस्थिति में किसान भाग्य को कोस रहे हैं।
मौसम ने परेशान किया
उमरिया निवासी किसान उदय गुर्जर सुरेश दांगी ने बताया कि प्याज की फसल हर साल पैदा करते हैं। इस वर्ष तो कणी रोपने के बाद से ही मौसम ने परेशान किया। बुआई के बाद से प्याज कटाई के समय तक कई बार बारिश हुई। किसी साल भाव तो कभी खराब मौसम दगा दे जाता है। सरकारी तोल केंद्र पर व बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत इन फसलों की खरीदी की जानी चाहिए।
हस्तक्षेप योजना में खरीदना चाहिए
उपसली के किसान संतराम भील ने 5 बीघा व रामप्रसाद ने डेढ़ बीघा जमीन में प्याज की बुआई की थी। बेमौसम बारिश से प्याज में नुकसान पहुंचा है। प्याज का समर्थन मूल्य घोषित कर सरकार को बाजार हस्तक्षेप योजना में खरीदी करनी चाहिए।