वहीं पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया ने पिछले डेढ़ दशक में तीसरी बार दुष्यंत को चुनौती दी है। इस बार प्रमोद जैन की पत्नी व बारां की जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया दुष्यंत के सामने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही है। उर्मिला इससे पहले 2009 में और प्रमोद भाया 2014 में यहां से चुनाव लड़ कर हार चुके हैं। झालावाड़ हो या फिर बारां, लोगों की जुबां पर चुनाव की चर्चा तो है, लेकिन प्रचार फीका सा है।
किसी की दिलचस्पी प्रचार में नहीं
भाजपा की ओर से दुष्यंत के अलावा वसुंधरा राजे ने मोर्चा संभाल रखा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा झालावाड़ आ चुके हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से सिर्फ अशोक गहलोत की सभा हुई है। इस बीच हमने चुनावी सफर को भवानीमंडी-डग के बीच गुराडिय़ा जोगा गांव से शुरू किया, जहां एक चबूतरे पर बैठे इंद्र नारायण पाटीदार, गिरिराज पाटीदार, करुलाल पाटीदार, प्रेम नारायण पाटीदार, बद्रीलाल पाटीदार से चुनावी चर्चा शुरू की तो कहने लगे कि सभी को नतीजे पता है, जिसकी वजह से किसी की दिलचस्पी प्रचार में नहीं हैै। मोदी सरकार की पीएम किसान योजना, राम मंदिर निर्माण जैसे काम भी गिनाए। वहीं मिश्रोली की मेघवाल बस्ती में लक्ष्मीनारायण मेघवाल ने कहा कि संविधान बदलने जैसी बातों की उन्हें जानकारी नहीं है। स्थानीय नेता को देखते हुए वोट डालते हैं। आमलियाखेड़ा गांव के औंकार सिंह ने कहा कि फिलहाल बदलाव जैसी कोई बात नहीं होने वाली है।
उधर, झालरापाटन के समीप मांडा गांव में बुजुर्ग किशन सिंह ने कहा कि किसानों को उनकी उपज के भाव नहीं मिल रहे हैं, लेकिन चुनाव पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है। नारायण सिंह भी इसी तरह की बात कहते दिखे। जबकि सुनेल के समीप उन्हेल में लक्ष्मीनारायण दांगी पटेल ने कहा कि अशोक गहलोत के सरकार में खुश थे। मोदी सरकार में 12 महीने में सिर्फ 6 हजार रुपए ही मिलते हैं। राम मंदिर बनाने से कुछ नहीं होता, हम हमारे गांव के मंदिरों में ही दर्शन करने चले जाए, वो ही बहुत है। सामिया गांव में प्रहलाद धाकड़, मनोहरलाल धाकड़ व रामस्वरूप धाकड़ ने पिछले 10 साल में हुए विकास कार्यों को गिना दिया।
धोखा देने वाले नेता को फिर से सबक सिखाएंगे
बारां के चतरगंज के प्रमोद मीणा व हंसराज मीणा ने कहा कि उनके समाज के साथ धोखा देने वाले नेता को फिर से सबक सिखाएंगे। बारां में रामप्रसाद शर्मा ने कहा कि विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव खासा फीका नजर आ रहा है। प्रचार कम हो रहा है। अंता में कमल सोनी ने कहा कि यहां कांग्रेस और भाजपा में बराबर की टक्कर दिख रही है। अंता के विधानसभा चुनाव से अलग हटकर नतीजे हो सकते हैं।
भितरघात कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश
कांग्रेस और भाजपा को भितरघात का सामना करना पड़ रहा है। प्रमोद भाया के मंत्री रहने के दौरान उनकी कार्यशैली से नाराज होकर कांग्रेस के कई बड़े नेता प्रचार से दूर दिख रहे हैं। उधर, भाजपा में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री नहीं बनने से अब भाजपा में खानपुर, झालरापाटन, डग, मनोहरथाना, बारां, किशनगंज विधानसभा क्षेत्रों में कुछ भाजपा नेता भितरघात कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश में दिख रहे हैं।
भाजपा के झंडे-बैनर हर गांव-कस्बे में
प्रचार के मामले में भाजपा काफी आगे दिख रही है। भाजपा के झंडे, होर्डिंग्स झालावाड़ व बारां के दूर-दराज इलाकों में दिख रहे हैं। अधिकांश जगह राम मंदिर की छवि वाले भगवा झंडे भी लगे हुए हैं। वहीं कांग्रेस के होर्डिंग्स शहरों तक सीमित है। कुछ गांवों में झंडे जरूर दिख रहे हैं।