गादिया गांव निवासी किसान प्रमोद कुमार नागर ने बताया कि दुधारु पशुओं को सालभर पर्याप्त घास मिलेगी। दूसरी घास चारा फसल रचका, बाजरा, मक्का और ज्वार की केवल एक वर्ष में 2-3 बार कटाई कर सकते हैं। इसकी तुलना में नेपियर घास वर्ष भर में 6-7 कटाई ले सकते हैं, इस वजह से औसत उत्पादन में लागत कम रहती है।
डंठल से होती रोपाई
सहायक कृषि अधिकारी हरिप्रसाद दानी ने बताया कि नेपियर घास बौने में बीज उपयोग में नहीं आता, घास का डंठल काम में लेते हैं। इसे नेपियर स्टिक कहते हैं। इसको खेेत में डेढ़ से दो फीट की दूरी पर रोपते हैं। एक बीघा में चार हजार डंठल की जरूरत होती है। हाथी घास के नाम से मशहूर नेपियर दुधारू पशुओं के लिए है। इसकी पौष्टिकता अन्य सभी घासों की तुलना में सर्वाधिक है। इससे पशुधन की दुग्ध उत्पादक क्षमता में 50 फीसदी वृद्वि होती है।
जिन गोशालाओं में चारा उत्पादन की सुविधा है एवं सिंचाई के साधन हैं, उनके पदाधिकारी भी जन आधार से नेपियर घास के प्रदर्शन लगाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। नेपियर घास में कई पोषक तत्व होते हैं जो पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे किसानों की आय में इजाफा होगा।
हरिप्रसाद दानी, सहायक कृषि अधिकारी
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चयनित किसानों को मिलेगा अनुदान
प्रगतिशील पशुपालक कृषकों का चयन राज किसान साथी पोर्टल के माध्यम से संबंधित कृषि पर्यवेक्षक या सहायक कृषि अधिकारी की ओर से जन आधार कार्ड का उपयोग करते हुए किया जाएगा। चयनित कृषक रोपण सामग्री प्राप्त कर उपयोग कर भौतिक सत्यापन के बाद अनुदान का भुगतान खाते में किया जाता है। विभाग घास कटिंग पर कृषक को 0.1 हैक्टेयर पर 8000 रुपए प्रति प्रदर्शन अनुदान देगा।