बाढ़ में बहे हाइवे की ६ माह बाद भी मरम्मत नहीं
झालावाड़Published: Jan 18, 2019 04:23:10 pm
आए दिन हो रही दुर्घटनाएं : नहीं ले रहे सबब
बाढ़ में बहे हाइवे की ६ माह बाद भी मरम्मत नहीं
खानपुर. बारां-झालावाड़ मेगा हाइवे पर गांव सूमर के निकट ६ माह पूर्व हाइवे बाढ़ में बहने के ६ माह बाद भी मरम्मत नहीं होने से आए दिन वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।
१२ जुलाई को बाढ़ से हाइवे का करीब १५० मीटर हिस्सा बह गया था। बाढ़ से हाइवे की करीब ३ फीट मोटाई में मिट्टी व गिट्टी बहने से रिडकोर द्वारा अस्थाई डिवाइडर व बेरियर लगाकर ६ माह से एकतरफा वाहनों को निकाला जा रहा है। इस स्थान पर अंधा मोड़ होने के साथ तिराहा, बायपास व सूमर गांव का रास्ता होने से आए दिन रात में वाहन भिड़ रहे हंै। तिराहे पर हाइवे निर्माण के बाद से अब तक एक दर्जन से अधिक मौतें हो चुकी है। इसके बाद भी रिडकोर द्वारा ध्यान नहीं देने से दुर्घटनाओं का अंदेशा बढ़ रहा है।
सूमर के ग्रामीणों ने बताया कि आए-दिन अंधे मोड़ पर अचानक वनवे आने से वाहन अनियंत्रित होकर सड़क के दोनों और खाइयों में उतरकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। जबकि रात्रि में अचानक मोड़ पर लाइटों में दिखाई नहीं देने पर वाहन आपस में टकरा रहे हैं। ग्रामीणों ने रिडकार से शीघ्र ही हाइवे की मरम्मत की मांग की। इधर रिडकोर के सूत्रों ने बताया कि मुख्यालय द्वारा मरम्मत के प्रस्ताव स्वीकृत किए जा चुके हैं। हाइवे की मरम्मत के लिए अब पीली मिट्टी उपलब्ध नहीं होने से मरम्मत में देरी हुई है। कुछ दिनों में क्षतिग्रस्त हाइवे की मरम्मत कर दी जाएगी।
सड़क पर कीचड़ सेहो रही परेशानी
झालरापाटन. ग्राम पंचायत मुख्यालय झूमकी में स्वच्छता अभियान का असर नहीं होने से लोगों को गंदगी व कीचड़ से परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कई गली-मोहल्लों में नालियां नहीं होने से पानी की निकासी का उचित प्रबंध नही है जिससे घरों से निकलने वाला पानी आम रास्ते पर बहता है। इस कारण सड़क पर हमेशा कीचड़ बना रहता है। सफाई की भी नियमित व्यवस्था नहीं होने से गंदगी बनी रहती है जिससे यहां मच्छरों की भरमार हो रही है। गंदगी के कारण बदबू बने रहने से बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार पंचायत में शिकायत करने के बावजूद सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं किया जा रहा है। सार्वजनिक नल पर पानी भरने जाने वाली महिलाओं को भी कीचड़ में होकर निकलना पड़ रहा है।