ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र कुमार जोशी ने बताया कि ज्योतिषविदों के अनुसार बृहस्पति एक मई को दोपहर 2.29 बजे राशि बदलेंगे। पिछले साल अक्षय तृतीया पर 22 अप्रैल को उन्होंने मीन से मेष राशि में प्रवेश किया था। गुरु को विस्तार, प्रगति और ज्ञान का ग्रह माना गया है, जो अभी मंगल की राशि में मेष में हैं। उनके वृषभ राशि में गोचर करने से कई राशियों के जातकों को लाभ मिल सकता है। क्योंकि नव ग्रह में बृहस्पति सबसे शुभ हैं और उनकी कृपा के बिना जातकों को शुभ फल नहीं मिलता। बृहस्पति तीन दृष्टि डालेंगे, जिनमें पंचम, सप्तम व नवम भाव शामिल है। वे धनु व मीन राशि के अलावा पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं। ज्ञान, शिक्षा, संतान, धार्मिक कार्य, तीर्थाटन, धन, दान, पुण्य, वृद्वि आदि का कारक माने गए हैं।
गुरु मजबूत होने पर मान-सम्मान में होती है बढ़ोत्तरी ज्योतिषविदों के मुताबिक सनातन मान्यताओं में गुरुवार बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ देवगुरु की पूजा-उपासना की जाती है। कुंडली में गुरु मजबूत रहने से जातक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्वि होती है। इसके उलट गुरु कमजोर होने पर धन संबंधी परेशानी के संकेत लिए जाते हैं।
देवगुरु 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे ज्योतिषीय गणना के अनुसार वृषभ राशि में गोचर के बाद देवगुरु 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे। यानी तब वे टेढ़ी चाल से चलने लगेंगे, जो अगले साल 4 फरवरी को मार्गी (साधी राह) होंगे। अगले साल 14 मई को बृहस्पति वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। जिनकी राशि में गुरु बलवान या शुभ स्थान पर है, उन्हें इस राशि परिवर्तन का फायदा मिलेगा।
सेहत संबंधी परेशानियां कम होंगी - लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार करने वालों को सुखद समाचार मिल सकते हैं। राजनीति से जुड़े कुछ लोगों को जनता का सहयोग मिल सकता है। विद्यार्थियों को नया सीखने को मिलेगा। सेहत संबंधी परेशानियां भी कम हो सकती हैं। हालांकि राजनीतिक उथल-पुथल एवं प्राकृतिक घटनाक्रमों की आशंका बढ़ेगी। शिक्षा में सुधार के योग और योजनाएं भी बनेगी। अचानक मौसमी बदलाव भी हो सकते हैं। ज्योतिषविदों की राय में गुरु कमजोर होने की स्थिति में आम के पेड़ के जड़ों पर जल चढ़ाना चाहिए। केले की पेड़, विष्णु व गुरु की पूजा करनी चाहिए।