गोठानिया खुर्द निवासी किसान अजयसिंह पंवार ने पिछले महीने एसबीआई की स्थानीय शाखा के प्रबंधक एवं कलेक्टर को आवेदन देकर फ सल खराब होने पर बीमा का लाभ दिलाने की मांग की थी। कलेक्टर को दिए पत्र के आधार पर बैंक की ओर से 26 सितंबर को रजिस्टर डॉक से मिले पत्र ने अजयसिंह पंवार की नींद उड़ाकर रख दी। बैंक ने किसान को सूचित करते हुए बताया कि आपने शासन की ओर से अधिसूचित फसल सोयाबीन नहीं बोकर मक्का की फसल बोई थी। इसलिए आपको बीमा का लाभ नहीं मिल सकता।
क्या है अधिसूचित फसल-
कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो राज्य शासन द्वारा खरीब एवं रबी की फ सलों के समय कृषि व राजस्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र में बोई जाने वाली फसल को अधिसूचित करते हुए सूचना जारी की जाती है व राज्य शासन की ओर से अधिसूचित फसल पर ही बीमा देने का करार शासन और बैंको के बीच होता है, लेकिन इन तकनीकी त्रुटियों की जानकारी किसान को नहीं होने से बीमा लाभ नहीं मिल पाता।
कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो राज्य शासन द्वारा खरीब एवं रबी की फ सलों के समय कृषि व राजस्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र में बोई जाने वाली फसल को अधिसूचित करते हुए सूचना जारी की जाती है व राज्य शासन की ओर से अधिसूचित फसल पर ही बीमा देने का करार शासन और बैंको के बीच होता है, लेकिन इन तकनीकी त्रुटियों की जानकारी किसान को नहीं होने से बीमा लाभ नहीं मिल पाता।
फसल बीमित पर नहीं मिलता लाभ
शासन की योजना के तहत बैंक और सोसायटीयों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनाकर फसल ऋण दिया जाता है और ऋ ण जमा करते समय या ऋ ण देते समय ही बैंकों और सोसायटी द्वारा किसान द्वारा बोई जा रही फसल का बीमा करते हुए बीमा की प्रीमियम की राशि उसी समय काट ली जाती है। इस तरह से फसल बोने से पहले ही पी्रमियम राशि भर दी जाती है। बैंक की ड्यूटी है कि जो प्रीमियम दी उसे अधिसूचित फसल की पी्रमियम के रूप में ही जमा किया जाए, ताकि फ सल खराब होने पर उसका लाभ किसान को मिल सकें। विभागीय तालमेल की कमी से किसानों को बीमा न देना छलावा है।
शासन की योजना के तहत बैंक और सोसायटीयों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनाकर फसल ऋण दिया जाता है और ऋ ण जमा करते समय या ऋ ण देते समय ही बैंकों और सोसायटी द्वारा किसान द्वारा बोई जा रही फसल का बीमा करते हुए बीमा की प्रीमियम की राशि उसी समय काट ली जाती है। इस तरह से फसल बोने से पहले ही पी्रमियम राशि भर दी जाती है। बैंक की ड्यूटी है कि जो प्रीमियम दी उसे अधिसूचित फसल की पी्रमियम के रूप में ही जमा किया जाए, ताकि फ सल खराब होने पर उसका लाभ किसान को मिल सकें। विभागीय तालमेल की कमी से किसानों को बीमा न देना छलावा है।
प्रचार-प्रसार नहीं करते- किसान अजयसिंह पंवार ने बताया फ सल बीमा की प्रिमियम को पहले ही बैंक में जमा करा लिया। मुझे नहीं पता की शासन ने किस फसल को अधिसूचित किया है। यदि ऐसी तकनीकी बातों का विभाग व शासन प्रचार प्रसार करे तो किसानों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
करोड़ों रुपए प्रीमियम के नाम पर जमा- किसानों को अधूरी जानकारी देकर प्रीमियम भरवाने वाली बैंकें बीमा का लाभ कितने किसानों को दे रहीं, जांच का विषय है, पर इतना जरूर है कि बैंकों ने प्रीमियम के रूप में करोड़ों रुपए जमा करा रखे हैं, लेकिन फ ायदा किसानों को जीरो है।
करोड़ों रुपए प्रीमियम के नाम पर जमा- किसानों को अधूरी जानकारी देकर प्रीमियम भरवाने वाली बैंकें बीमा का लाभ कितने किसानों को दे रहीं, जांच का विषय है, पर इतना जरूर है कि बैंकों ने प्रीमियम के रूप में करोड़ों रुपए जमा करा रखे हैं, लेकिन फ ायदा किसानों को जीरो है।