scriptकॉल डिटेल से हुआ अपहरण की साजिश का खुलासा, षडय़ंत्र में शामिल 4 गिरफ्तार | Explanation of plot of kidnapping from call-room, 4 arrested in conspi | Patrika News

कॉल डिटेल से हुआ अपहरण की साजिश का खुलासा, षडय़ंत्र में शामिल 4 गिरफ्तार

locationझाबुआPublished: Feb 15, 2019 10:27:02 pm

किडनेपिंग ड्रामे का पर्दाफाश : दो फरार आरोपितों की पुलिस को है तलाश

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कॉल डिटेल से हुआ अपहरण की साजिश का खुलासा, षडय़ंत्र में शामिल 4 गिरफ्तार

झाबुआ. शहर की टीचर्स कॉलोनी निवासी नरेश सोलंकी (19) ने अपने अपहरण की जो साजिश रची थी उसका खुलासा उसके मोबाइल की कॉल डिटेल से हुआ। गायब होने से पहले उसने लगातार चार बार अपने साथी मोहम्मद रफीक उर्फ भय्यू पिता मुबारिक शाह से मोबाइल पर बात की थी। इससे रफीक पकड़ में आया और पूछताछ में एक के बाद एक साजिश की परतें खुलती चली गई। यह बात भी सामने आई है कि नरेश ने अपने मोबाइल से सिम निकालकर दूसरे साथी शाकिर पिता बाबू खां (27) निवासी जेल के पीछे को दे दी थी। इससे वह उसके पिता नटवर को बार-बार फोन लगाकर 20 लाख रुपए की फिरौती मांग रहा था।
नरेश को यकीन था कि वह अपने पिता का इकलौता बेटा है और उसके अपहरण की खबर मिलने पर वे पुलिस को सूचना नहीं देंगे और फिरौती की पूरी रकम साजिश में शामिल उसके साथियों को दे देंगे। जब प्लान फेल हो गया तो वह लौट आया। पुलिस ने प्रकरण में नरेश को भी आरोपी बनाया है। उसके साथ साजिश में शामिल मोहम्मद रफीक, शाकिर और अश्विन उर्फ परवल पिता जुवानसिंह मेड़ा (19) को गिरफ्तार कर लिया है। उनके दो अन्य साथी भीसर उर्फ विशाल पिता जामसिंह परमार निवासी पाडलवा और अंतर पिता मानसिंह डामोर निवासी छोटी गोला की तलाश की जा रही है। नरेश की बाइक अंतर के घर से बरामद की गई। इन सभी के विरुद्ध धारा 364 ए, 120 बी, 193 व 387 में प्रकरण दर्ज किया गया है।
एसपी विनीत जैन ने बताया जब यह बात सामने आई कि नरेश के मोबाइल से ही उसके पिता को फिरौती के लिए फोन आ रहा है तो उसकी कॉल डिटेल निकलवाई। पता चला गायब होने से पूर्व उसने मोबाइल नंबर 75810-5708 5 पर लगातार चार बार बात की थी। वहीं शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज देखे तो नरेश अपने गायब होने से ठीक पहले बाइक चलाते हुए एक हाथ से मोबाइल पर बात करते नजर आया था। इससे पूरी घटना संदिग्ध प्रतीत हो रही थी। जिस नंबर पर नरेश ने लगातार चार बार बात की थी वह सीम लकी कहार के नाम से दर्ज थी। जब लकी से पूछताछ की गई तो उसने बताया यह सिम उसने मोहम्मद रफीक उर्फ भय्यू शाह (30) निवासी मौलाना आजाद मार्ग को दी थी। छानबीन करने पर पता चलाकि मोहम्मद रफीक नरेश के पिता की दुकान के पास में ही सब्जी की दुकान लगाता है और नरेश को अच्छे से जानता है। पुलिस ने रफीक से दो दिन तक पूछताछ करने पर उसने जो खुलासा किया वह काफी चौकाने वाला निकला। रफीक के मुताबिक नरेश को यह बात पता था कि उसके पिता ने राणापुर के पास भूरीमाटी में एक जमीन बेची है। इसके बदले में उन्हें 5 लाख रुपए नकद मिल चुके हैं और 5 लाख रुपए मिलना शेष है। चूंकि नरेश को रुपयों की जरूरत थी तो उसने रफीक से कहा कोई ऐसा प्लान बनाओ कि मेरे पिता के पैसे मेरे पास आ जाए। तब रफीक ने उसे उसके ही अपहरण का प्लान बताते हुए कहा तेरे पिता से हम पैसों की मांग करेंगे। जो रकम मिलेगी उसमें मेरा भी हिस्सा रहेगा और जिन लोगों को प्लान में शामिल करेंगे उनको भी खर्चे के पैसे दे देंगे। नरेश इसके लिए तैयार हो गया। इसके बाद रफीक ने उसे अश्विन उर्फ परवल पिता जुवानसिंह मेड़ा (19) निवासी वागनेरा थाना कालीदेवी से मिलवाया। अश्विन ने मदद के लिए भीसर उर्फ विशाल पिता जामसिंह परमार निवासी पाडलवा और अंतर पिता मानसिंह निवासी छोटी गोला को साथ में लिया। प्लान के तहत 8 फरवरी की रात नरेश अकेला अपनी पल्सर बाइक से धरमपुरी रोड पर ईंट भट्टे के पास पहुंचा। यहां पहले से ही अश्विन उर्फ परवल, अंतर व भीसर उर्फ विशाल बाइक लिए खड़े थे। पीछे से रफीक आ गया। नरेश ने अपना मोबाइल उसे दे दिया। इसके बाद नरेश, अश्विन उर्फ परवल, अंतर व भीसर उर्फ विशाल ग्राम धावलिया में परवल के मामा अमनू पिता मंगा डामोर के घर पहुंचे। उधर, मोहम्मद रफीक ने नरेश के मोबाइल से उसकी सिम निकालकर साथी शाकिर पिता बाबू खां को दे दी। शाकिर ने सिम अपने मोबाइल में डालकर नरेश के पिता को फिरौती के फोन लगाए। पुलिस ने मोबाइल टुकड़ों में बरामद किया। नरेश और शाकिर की सिम भी जब्त कर ली।
मांग मनवाने के लिए पिता पर बनाता
था दबाव
नरेश अपने इकलौता होने का पूरा फायदा उठाता था। वह अपनी जायज-नाजायज मांग मनवाने के लिए पिता नटवर सोलंकी पर हमेशा दबाव बनाता था। एक लडक़ा होने से पिता भी उसकी हर जरूरत पूरी करते थे। यह भी पता चला है कि वह एक बार 10वीं में फैल हो चुका था और नशा करने का आदि था।
किन धाराओं में कितनी सजा
364 ए: फिरौती के लिए किसी का अपहरण करना।यह एक गैरजमानती व संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें समझौता भी नहीं किया जा सकता। आरोपी को आजीवन कारावास के साथ आथर््िाक दंड दिया जा सकता है।
120 बी: कोईअपराध करने के लिए पूरी साजिश रचना। इसमें आरोपी को उसके अपराध के अनुसार मौत की सजा, आजीवन कारावास अथवा दो साल या इससे अधिक समय के लिए सश्रम कारावास के साथ अर्थदंड की सजा हो सकती है।
193: न्यायिक कार्रवाई में झूठा साक्ष्य देना। इसके अंतर्गत अधिकतम सात वर्ष का कारावास और आथर््िाक दंड से दंडित किया जा सकता है।
387: जबर्दस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर आघात के भय में डालना। यह गैर जमानती अपराध है। इसके अंतर्गत सात वर्षका कारावास और अर्थदंड लगाया जा सकता है।
(एडवोकेट हितेष संघवी के अनुसार।)

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