scriptरेकॉर्ड बारिश के बाद भी 95त्न प्राकृतिक जलस्रोतों ने तोड़ा दम | Even after record rains, 95 natural waters have broken | Patrika News

रेकॉर्ड बारिश के बाद भी 95त्न प्राकृतिक जलस्रोतों ने तोड़ा दम

locationझाबुआPublished: Oct 11, 2019 10:50:07 pm

30 फ ीट से अधिक गहरे कुएं कांक्रीट की दीवार के बनाए जा रहे, पर ये निर्माण के साथ ही टूटते जा रहे

रेकॉर्ड बारिश के बाद भी 95त्न प्राकृतिक जलस्रोतों ने तोड़ा दम

रेकॉर्ड बारिश के बाद भी 95त्न प्राकृतिक जलस्रोतों ने तोड़ा दम

झाबुआ. जिले में इस बार अभी तक रेकार्ड 1386.4 मिमी बारिश हो चुकी है। तालाब और नदियां लबालब हैं, पर कुएं बाबड़ी खंडहर हैं। अनेक सामाजिक संस्थाएं जल सहेजने के लिए परिश्रम कर रही है। जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जन अभियान परिषद, परहित सामाजिक, संस्था, शिवगंगा, संकल्प ग्रुप, प्रयास, युवा भारत संगठन आदि के कार्य उल्लेखनीय है। फिर भी सामाजिक संस्थानों के यह भागीरथी प्रयास शहर को जल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है। विरासत में मिले जल स्त्रोतों को बचा नहीं पाए। इतनी बारिश के बाद भी शहर के 95 प्रतिशत प्राकृतिक जलस्त्रोतों ने दम तोड़ दिया है।
शहर की जीवनदायिनी प्राचीन बावडिय़ों में से कुछ समाज, कुछ कॉलोनाइजर तो कुछ मंदिरों के कब्जे में हैं । कुछ पर भराव कर भवन बना लिए हैं। कुओं के भी यही हाल है। कुछ कुओं पर अतिक्रमण कर लोगों ने उनका अस्तित्व समाप्त कर दिया। 10 साल पहले जनता जिन जल स्त्रोतों का उपयोग कर रही थी। रखरखाव अभाव में लोगों ने उन्हें उपयोग लायक नहीं छोड़ा।
जगह-जगह फूटी पाइप लाइन वर्तमान में शहर में कई
हिस्सों में पानी 4 से 5 दिन में दिया जा रहा है। जगह-जगह पाइप लाइन फूटी है। एक लीकेज को सुधारने के प्रयासों में दूसरी जगह लीकेज हो रहा है। इस कारण शहर भर के रोड खुदे पड़े हैं। फूटी पाइप लाइन से जल प्रदाय के समय प्रेशर नहीं रहता शहर के समस्त 18 वार्डों के रहवासी मोटर लगाकर पानी भरते हैं। कई बार विवाद की स्थिति बनती है। कुछ जगह पर तो सार्वजनिक नलकूप पर भी रसूखदारों ने मोटर लगाकर अतिक्रमण किया हुआ है।
सिंचाई के लिए बने कुएं टूटे
सिंचाई के लिए नहर से पानी देने के लिए बनाए गए कुएं उपयोग के पहले ही टूट रहे हैं। किसानों का कहना है जो भी निर्माण हो रहा, गुणवत्तायुक्त हो अन्यथा हमारे किसी काम का नहीं रहेगा। सरकार द्वारा करोड़ खर्च के बाद भी लाभ नहीं मिल पाएगा। माही की नहरों का विस्तार रायपुरिया क्षेत्र में हो रहा है। यहां करीब 9 हजार 9 सौ 99 हेक्टयर भूमि सिंचित होगी। नहर विस्तारीकरण में करीब 150 करोड़ खर्च किए गए हैं। माही नहरों के इस विस्तार में जामली क्षेत्र को भी लाभ मिल रहा है, किंतु घटिया निर्माण कार्य से किसान नाराज है। नहरों के निर्माण के साथ ग्रामीणों को सिंचाई के लिए पानी दिए जाने हेतु कुएं का निर्माण भी किया जा रहा है। लगभग 30 फ ीट से अधिक गहरे कुएं कांक्रीट की दीवार के बनाए जा रहे हैं पर यह कुएं किसानों को लाभ के पहले ही टूट चुके हैं।
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