अस्पताल में अव्यवस्थाएं दूर नहीं हुर्इं तो पिछली बार से भी कम अंक मिलेंगे
कायाकल्प अभियान के अंतिम निरीक्षण के लिए जिला अस्पताल पहुंची तीन सदस्यीय टीम
अस्पताल में अव्यवस्थाएं दूर नहीं हुर्इं तो पिछली बार से भी कम अंक मिलेंगे
झाबुआ. जिला अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में आग लग जाए तो बाहर निकलने के लिए कोई इमरजेंसी गेट ही नहीं है। बिजली की लाइन लटकी हुई है तो पीने के पानी का सही इंतजाम नहीं है। यह सब कमियां सोमवार को कायाकल्प अभियान के लिए जिला अस्पताल में की गई व्यवस्थाओं को देखने के लिए आई तीन सदस्यीय टीम के निरीक्षण के दौरान उजागर हुई। इस टीम में इंदौर के आरएमओ डॉ.श्यामसिंह जाटव, रतलाम आरएओ डॉ. रजत दुबे व बड़वानी जिला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी मुकेश डोंगरे शामिल थे। टीम के सदस्यों ने यह भी कह दिया कि पिछली बार 72 अंक मिले थे, लेकिन इस बार उससे भी कम अंक के लिए तैयार रहें। क्योंकि व्यवस्थाओं में कुछ भी सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने आरएमओ डॉ. एसएस चौहान व पूर्व आरएमओ डॉ. जितेंद्र बामनिया से इसको लेकर कई सवाल भी किए। दोनों ही अधिकारियों ने अस्पताल भवन काफी पुराना होने का हवाला दिया। साथ ही बताया कि जो व्यवस्थाएं पूर्व से हैं, उनमें बदलाव करना मुश्किल है। पानी के प्रबंध को लेकर डॉ. चौहान ने कहा कि इसे दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। टीम सुबह 10 से शाम 4 बजे तक अस्पताल में रही। इस दौरान हर वार्ड में जाकर तय मापदंडों के अनुसार व्यवस्थाओं का आकलन किया।
अग्निशमन यंत्र काफी ऊपर लगा था
सुबह करीब 10 बजे जैसे ही तीन सदस्यीय टीम जिला अस्पताल पहुंची उन्होंने सबसे पहले आरएमओ डॉ.चौहान के सामने ही सिक्योरिटी गार्ड को बुलाया। उससे सवाल किया कि यदि मुख्य गेट पर आग लग जाती है तो आप अग्निशमन यंत्र कैसे उतारोगे। पिलर पर अग्निशमन यंत्र काफी ऊंचाई पर लगा था। सिक्योरिटी गार्ड इसका कोई जवाब नहीं दे पाया।