झाबुआ जिले से मप्र और गुजरात राज्य की सीमा जुड़ी है। ऐसे में कई बार अलर्ट जारी हुए। इसमें असमाजिक तत्वों और आंतकवादियों के इस इलाके से गुजरने की बात कही गई। ऐसे में मिली ने रेल्वे स्टेशन और बस स्टैंड पर जांच में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा जितने भी वीआईपी दौर हुए उसमें भी पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी की।
मिली के हैंडलर अनवर खान ने बतायाकि उसे हैदराबाद से जब भोपाल लाया गया तब वह तीन महीने की थी। डेढ़ साल तक उसकी टे्रनिंग हुई। इस दौरान मिली ने सीएम हाउस के साथ मंत्रालय में भी ड्यूटी की। उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ में ड्यूटी के बाद मिली को झाबुआ लाया गया था। उस वक्त यह दो साल की थी। अब पांच साल की हो चुकी है।
स्नाइफर और ट्रेकर डॉग में क्या अंतर होता है-
स्नाइफर डॉग के सूंघने की क्षमता काफी अच्छी होती है। इसे बम व अन्य विस्फोटक ढूंढने के लिए टे्रन किया जाता है। जबकि ट्रेकर डॉग चोरी और हत्या जैसे प्रकरणों में अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हें आरोपी को ट्रेक करने के लिए टे्रंड करते हैं।
कमलनाथ सरकार ने कुत्तों को भी नहीं छोड़ा-
पुलिस विभाग के डॉग स्क्वाड की सूची जारी होने के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने कहा-कमलनाथ सरकार तबादला उद्योग चला रही है। अभी तक तो अधिकारी-कर्मचारियों को इधर से उधर किया जा रहा था, अब कुत्तों को भी नहीं छोड़ा। इनका बस चले तो पता नहीं और क्या-क्या इधर से उधर कर दें।