बीती 7 जुलाई को जिला अधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी और एसपी विपिन मिश्रा की टीम अचानक जेल पहुंच गई। बौरकों में काफी देर निरीक्षण के बाद वापस जाने लगे तो जेलर संजय सिंह के कार्यालय में चले गए। ये काफी अप्रत्याशित था क्योंकि अधिकारियों के कार्यालय की कभी जांच नहीं होती थी। वहां जांच शुरू हुई तो एक के बाद एक आपत्तिजनक चीज़ें मिलना शुरू हो गईं। अलमारी के अंदर से शराब की बोतलें बरामद हुईं। कई मोबाईल फोन, कैश, सिगरेट समेत प्रतिबंधित चीज़ें अब डीएम और एसपी के सामने थीं। डीएम ने सवाल किया कि कैसे जेलर के रूम मे पांच हजार कैश के अलावा इतने अवैध सामान मौजूद हैं तो वे सही-सही जवाब नहीं दे सके। पर हैरानी की बात ये है कि जिले के दो सबसे तारकवर अधिकारीयों ने जिस जेलर के कारनामों को खुद पकड़ा उन लोगों ने भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं किया।
लीक वीडियो ने उड़ाई दावों की धज्जियां सबसे अहम बात ये ही जिस समय जेल के भीतर छापेमारी की जा रही थी उसी दौरान किसी ने पूरी प्रक्रिया का वीडियो बना लिया और कुछ दिन के बाद ही इसे वायरल कर दिया है। इस वीडियो के सामने आने के बाद सरकार के साथ ही जिला प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं कि अगर जेल के भीतर ये आलम है तो भला आम जनमानस कैसे महसूस करेगा कि भाजपा की सरकार में गुंडे भयभीत है। जेलर के कमरे से आई हकीकत ये बयां कर रही है कि अपराधियों को जेल के भीतर सारी सुविधायें मुहैया कराने का जतन किया गया है।
लगातार गुनाहों के बाद भी नहीं चेता प्रशासन ज़िला जेल में आपत्तिजनक चीजों के मिलने का ये पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी डीएम ने प्रशासनिक टीम के साथ छापा मारा था तो उसमें धारदार हथियार, नशीला पदार्थ और मोबाइल फोन बरामद हो चुका है। विशेष बंदियों को ऐशो आराम देने को लेकर जेल के भीतर अकसर असंतोष बना रहता है। कि बार बंदियों के गुट आपस में भिड़ भी चुके हैं। लड़ाई के दौरान एक बंदी की मौत हुई तो बंदियों ने बवाल खड़ा कर दिया। कई घन्टों तक जेल बंदियों के कब्ज़े में रही। तत्कालीन ज़िला अधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी ने किसी तरह उपद्रवियों को समझा-बुझाकर शांत कराया था। इसके बाद से जिला में जब भी छापा मारा अवैध समान बरामद हुआ।