जिसके खाने से लोग तरह-तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा छापेमारी की जाती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है। जिससे मिलावटखोरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। पहले से सूचना हो जाने के कारण इस कारोबार में लगे मिलावटखोर दुकान बंद कर या तो फरार हो जाते हैं अथवा सामान को कहीं और भेज देते हैं। ज्ञात हो कि जनपद में मिलावट का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। सबसे अधिक दुग्ध पदार्थों में अवैध कारोबारी खेल कर रहे हैं। निगहबानी की अहम जिम्मेदारी वाला विभाग संसाधन विहीन है।
नकली व मिलावटी खाद्य पदार्थों के निर्माण व मिलावट के मामले आए दिन उजागर होते हैं। इनके सेवन से जहां लोग घातक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं वहीं ग्रोथ भी प्रभावित हो रहा है। मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग पैदल है। एक तंग कमरे में संचालित इस विभाग के पास न तो वाहन हैं और न ही अन्य संसाधन। एकत्रित किए गए नमूने को भी रखने की जगह नहीं है मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि दुग्ध पदार्थों में मिलावट के प्रति सर्वोच्च न्यायालय भी गंभीर है। विभाग द्वारा मिलावटी व नकली खाद्य पदार्थों की बिक्री के खिलाफ हर सप्ताह अभियान चलता है और प्रत्येक पखवारे रिपोर्ट भेजी जाती है। गर्मी के सीजन में विशेष नजर रहती है।